आदि और इत्यादि में क्या अंतर है ?
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इत्यादि संस्कृत के इति और आदि से मिल कर बना है । इति माने अंत और आदि का अर्थ आरम्भ होता है । इसलिए इत्यादि का अर्थ समस्त हो गया जैसे A से Z कहते हैं । आदि इसका छोटा रूप है जो ज्यादा प्रचलित है ।
डॉ. वासुदेवनंदन प्रसाद की पुस्तक आधुनिक हिन्दी व्याकरण और रचना में इत्यादि और आदि का प्रयोग बताया गया है , जिसमें एक या दो उदाहरणों के बाद आदि का प्रयोग व इससे ज्यादा उदाहरणों के बाद इत्यादि का प्रयोग करने को कहा गया है । पर अब आदि शब्द छोटा होने से सब जगह प्रयोग होने लगा है ।
इत्यादि का मतलब है etcetera, and so on, and so forth
उर्दू में इसे वगैरह कहते हैं
आदि के दो अर्थ होते हैं|
एक है, इत्यादि, और दूसरा है प्रारंभिक, शुरुआती, प्राचीन काल से, पूर्वकालीन ।
आदि और इत्यादि शब्दों मे अंतर :- इन दोनों शब्दों का प्रयोग तब किया जाता है जब एक वाक्य में कई संज्ञा शब्द एक साथ आते हैं। परन्तु आदि, इत्यादि शब्दों के प्रयोग की स्थितियाँ भिन्न हैं।
आदि का उपयोग -
- इस शब्द का प्रयोग तब किया जाता है जब वाक्य में कुछ संज्ञाएँ एक साथ एक वाक्य में आती हैं।
- उदाहरण-किसान को खेती के लिए खाद, बीज, दवाइयां आदि खरीदनी पड़ती है।
- जब वाक्य में एक ही समुदाय वर्ग की वस्तुओं का वर्णन किया जाता है, तब आदि का प्रयोग किया जाता है।
- उदाहरण- मैंने बाजार से सब्जी में गाजर, मूली, टमाटर, पालक, भात आदि खरीदा।
इत्यादि का प्रयोग -
- वाक्य में एक साथ अनेक संज्ञा शब्दों का प्रयोग होने पर आदि शब्द का प्रयोग होता है।
- उदाहरण- हमें अपने भोजन में सब्जियां, दालें, फल, दूध, अंडा, मांस, अंकुरित अनाज इत्यादि को शामिल करना चाहिए।
- वाक्य में भिन्न-भिन्न वर्गों की संज्ञाओं (वस्तुओं) का वर्णन होने पर भी उस इत्यादि शब्द का प्रयोग होता है।
- उदाहरण- इंसान को जीने के लिए मकान, अनाज, पैसा, कपड़ा, दवा-शराब, रिश्ते-नाते इत्यादि चाहिए।
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