आदमी नामा का मूल भाव ?
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In the poem aadminama author nazir akbarabadi wants to tell people about the different forms of a person like raja runk etc
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मित्र इसका मूल भाव है कि मनुष्य को सबको समान भाव से देखना चाहिए और धर्म, जाति, धन के कारण किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहते हैं। कवि के अनुसार सभी मानव समान हैं।
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