aatm nirbhar bharat essay
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Answer:
Pehle khud atma nirbhar baniye apna hw khud karne ke liye xD
Anyway heres ur answer :)
Explanation:
।। आत्मनिर्भर भारत स्वतंत्र भारत ।।
किसी भी दृष्टि से आत्मनिर्भरता मानव का सबसे बड़ा गुण होती है और उसके लिए सबसे बड़ा सहारा बनती है। व्यक्ति यदि आत्म निर्भर होगा तो उसे दूसरों की मदद की जरूरत कम से कम पड़ेगी और किसी भी संकट की घड़ी में वह उसका सामना अधिक मजबूती से कर सकेगा और दूसरों पर आश्रित नहीं रहेगा। व्यक्ति हो या देश आत्मनिर्भरता सबके लिए एक उत्तम गुण है।
हमारा देश संसाधनों की दृष्टि से एक समृद्ध देश है और हमारा देश इतना सक्षम भी है कि हर वस्तु का उत्पादन स्वयं कर सकता है। बस इसके लिए इच्छाशक्ति और कार्यकुशलता चाहिए। हमारे देश में कार्य कुशल लोगों की कमी नहीं है। आत्मनिर्भरता से तात्पर्य है कि हमारा देश हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो, हर वस्तु सुई से लेकर हवाई जहाज तक हमारा देश स्वयं बना सके और हमें बाहरी देश पर निर्भर ना होना पड़े।
आत्मनिर्भरता के कई फायदे हैं। इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। हर वस्तु अपने देश में ही बनाने के कारण उद्योगों को बढ़ावा मिलता है। अधिक से अधिक उद्योग लगते हैं, इसे रोजगार में वृद्धि होती है और बेरोजगारी दर कम होती है। देश का पैसा देश में ही रहने के कारण अर्थव्यवस्था और अधिक मजबूत होती जाती है। आयात की जगह निर्यात बढ़ता है, इससे विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ता है। कोई भी मानवीय आपदा, प्राकृतिक आपदा या किसी भी तरह की आपदा का कोई भरोसा नहीं होता और यदि आपदा की स्थिति में किसी भी तरह के खाद्यान्न या जरूरी वस्तुओं की मांग होने पर हमें आत्मनिर्भर होने की स्थिति में किसी बाहरी देश पर सामान की आपूर्ति के लिए आश्रित नहीं होना पड़ेगा।
कोरोनावायरस महामारी के संकट ने हमारे देश को एक अवसर दे दिया है कि हम जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनें, ताकि हमारे देश की अर्थव्यवस्था अधिक से अधिक मजबूत हो और हम जीवन के किसी भी क्षेत्र में हमें किसी भी देश पर आश्रित ना रहे।
हमने ये सिद्ध भी किया है कि हम यदि ठान ले तो पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सकते हैं। जैसा कि अभी हम कोरोनावायरस के समय पीपीई किट और वेंटिलेटर आदि के उत्पादन में कर चुके हैं। हमारे देश में संभावनाओं की कमी नहीं है, बस उनका सही रूप से क्रियान्वन हो। कोरोना वायरस की महामारी से पहले हमारे देश में पीपीपी और वेंटिलेटर का उत्पादन बेहद कम होता था, लेकिन इस संकट के बाद हमने अपने घर में ही इन वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति लायक उत्पादन करना आरंभ कर दिया है। ये आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया गया हमारा पहला कदम है और एक सफल उदाहरण भी है।
किसी भी तरह की निर्भरता एक तरह की गुलामी ही है, क्योंकि हम जिस पर निर्भर होते है, उसके अनुसार कार्य करना होता है, उसकी शर्तों को मानना होता है। जो आत्मनिर्भर होता है, वो अपने निर्णय स्वयं लेने में सक्षम होता है और पूरी तरह स्वतंत्र होता है। हमारा देश भी यदि पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनेगा तब ही वो सही मायने में स्वतंत्र कहलायेगा।
हम यदि मन में ठान ले तो जीवन के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकते हैं, इसलिए हम अपने देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिलजुल कर जी जान से जुट जाएं।
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Hope it helps yaa mate :)
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Pls mark me brainliest !!
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Answer:
here is your answer mate !!
Explanation:
On 12th May 2020, while addressing the country amid
coronavirus pandemic, Prime Minister Narendra Modi
announced the Atmanirbhar Bharat or self-sufficient
India concept. He stated that the current state of the
world has made us realize self-sufficiency is the only
path for development. For many, this concept seemed
covalent and put them in a tizzy.
So, the literal meaning is self-independence, where
India needs to make sure that the 21st century belongs
to it. COVID-19 has provided an excellent opportunity to
prove our mettle in a world who is like a family. Rural
India was left on its devices when the lockdown was
imposed. Their challenges were different than in urban
areas. The people who migrated to the cities for the job
was left for starving, which coerced them to return to
their homes.
Since India is an agrarian economy, availability of labour
and machines, fear of police and lack of family labour
caused significant hurdles in the harvest of several
crops. Furthermore, they faced challenges in threshing,
storage, transportation, closure of markets and mandis.
Rubber and tea plantations in Kerala and Assam suffered
a considerable loss due to the halt in farm operations.
The restricted mobility has obstructed the sales of
vegetables and fruits. In such situations, the idea of
Atmanirbhar Bharat seems futile. The intended
objective of this concept is two-fold. First, for the poor
people, interim measures like liquidity and direct cash
transfer are released, which will act as shock absorbers.
Second, the plan is to bring reforms in the
growth-critical sector to make it globally attractive.
When these measures are applied, then it will revive the
economic activity and create opportunities in micro,
small, agriculture and medium sectors. Also, it will bring
substantial growth in power, coal, defence, aviation and
mining. The scheme formulated is a one-step towards
the one nation one market and help India emerge as the
food factory of the world.
The MGNREGA may help the distressed migrants in
villages due to the infusion of 40,000 crore. For
finance-starved sector, Rs 3 lakh crore has been
provided as a collateral-free loan facility. As the MSME
(micro, small and medium enterprise) is the largest
employment generating sector, this plan would ensure
their sustenance and thereby help in India comparative
advantage.
Moreover, the newly launched PM e-vidya programme
will secure schools, colleges and universities as it will
assist them in conducting online courses without further
loss in teaching. The expenditure on health will be
increased by ramping up health and wellness centres in
rural and urban places. A sum of rupees 3 lakh 10 crores
is to be provided to dairy, animal husbandry and
fisheries.
Also, the coal sector, minerals and space sectors will
receive a sum of 48,100 crores. Though the plan seems
promising, many hurdles need to be addressed before
implementing these ideas. The pandemic is similar to the
1991 crisis which witnessed a shift via liberalization,
privatisation and globalization. The post-pandemic time
will be provided unprecedented opportunities only if the
implementation is carried adequately.