आयुर्वेदिक चिकिस्चा पद्धति में प्रयोग की जानेवाली अश्वगंधा के महत्वपूर्णता बताईये
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भारत के परंपरागत चिकित्सा ज्ञान पर शोध कर रहे जापानी वैज्ञानिकों की एक टीम ने दावा किया है कि अश्वगंधा से कैंसर का सुरक्षित दवा बनाई जा सकती है। चूहों पर किए गए परीक्षण में पाया गया कि अश्वगंधा के पत्तों से मिले खास तत्व शरीर में कैंसर कोशिकाओं को चुन-चुनकर मारने में सक्षम है। जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस इंडस्ट्रीयल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एआईएसटी) में चीफ सीनियर रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. सुनील कौल ने एक अखबार को बताया कि आयुर्वेद में अश्वगंधा के कैंसर में उपचार का जिक्र है। लेकिन उनके संस्थान ने क्लीनिकल शोध से इस दावे की पुष्टि की है।
डॉ. कौल के अनुसार अश्वगंधा के पत्ते से निकाले गए तत्व जिसे आईएक्सट्रेक्ट नाम दिया गया है। इससे चूहों के शरीर में कैंसर कोशिकाओं को चिन्हित कर उन्हें मारने में सफलता पाई गई। अब तक दुनिया में कैंसर की जितनी भी दवाएं बनी है उसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ सामान्य कोशिकाओं को भी नष्ट कर देती है, लेकिन डॉक्टरों की टीम का मानना है कि अश्वगंधा के रूप में ऐसा प्राकृतिक तत्व मिला है, जिसके जरिए कैंसर की अब तक की सबसे सुरक्षित दवा बनाने की राह खुल रही है। टीम के अनुसार भारत-जापान के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय जड़ी बूटियां की मॉलिक्यूलर संरचना को समझना है। इसके तहत तनाव, बुढ़ापे से जुड़ी बीमारियों एवं कैंसर का निदान ढूंढा जाना है।
डॉ. कौल के अनुसार अश्वगंधा के पत्ते से निकाले गए तत्व जिसे आईएक्सट्रेक्ट नाम दिया गया है। इससे चूहों के शरीर में कैंसर कोशिकाओं को चिन्हित कर उन्हें मारने में सफलता पाई गई। अब तक दुनिया में कैंसर की जितनी भी दवाएं बनी है उसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे कैंसर कोशिकाओं के साथ-साथ सामान्य कोशिकाओं को भी नष्ट कर देती है, लेकिन डॉक्टरों की टीम का मानना है कि अश्वगंधा के रूप में ऐसा प्राकृतिक तत्व मिला है, जिसके जरिए कैंसर की अब तक की सबसे सुरक्षित दवा बनाने की राह खुल रही है। टीम के अनुसार भारत-जापान के बीच हुए समझौते के तहत भारतीय जड़ी बूटियां की मॉलिक्यूलर संरचना को समझना है। इसके तहत तनाव, बुढ़ापे से जुड़ी बीमारियों एवं कैंसर का निदान ढूंढा जाना है।
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अश्वगंधा आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्रयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पौधा है। इसका सेवन करने से शरीर के कई रोग दूर होते है | थकान,तनाव,उच्च रक्तचाप, लम्बाई बढ़ाने हेतु , वजन बढ़ाने के लिए , खांसी दूर करने में , प्रजनन क्षमता का विकास करने तथा ल्यूकोरिया( स्त्री रोग -श्वेत प्रदर ) जैसे रोगों को दूर करने में इसकी अहम भूमिका है | यह अनिद्रा रोग को दूर करने में भी सक्षम है | इसकी आद्र जड़ में घोड़े के मूत्र जैसी गंध आती है इसलिए इसे अश्वगंधा कहते है | इसके अन्य भी कई नाम है , यथा- असगंध, बाराह्कर्णी, वाजिगंधा, असगण्य इत्यादि |
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