अभिषेक आज राजा का है का क्या अर्थ है
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अभिषेक आज राजा का है का क्या अर्थ है
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है।
तैंतीस कोटि जनता के सिर मुकुट धरो
भावार्थ : रामधारी सिंह द्वारा दिनकर रचित ‘जनतंत्र का जन्म’ कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ यह है कि कवि कहना चाहते हैं कि इस जनतंत्र में जनता ही सर्वोपरि है। आज जनतंत्र के इस शुभ अवसर पर वास्तविक अभिषेक जनता का है, क्योंकि जनता ही राजा है, जनता ही प्रजा। जनतंत्र में कोई राजा नही होता, वास्तविक राजा जनता होती है, तो जनता के अभिषेक की तैयारी करो। भारत की तैंतीस करोड़ जनता के राज्याभिषेक के तैंतीस करोड़ मुकुट तैयार करो।
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