Hindi, asked by sahilmallick0608, 10 months ago

अभ्यास B
रिक्त स्थान की पूर्ति की पूर्ति उचित मुहावरे द्वारा कीजिए
1 जब तक मनुष्य पर जिम्मेदारी नहीं आती तब तक उसे........ पता नहीं चलता।
2 यदि मनुष्य मन में दृढ़ निश्चय कर ले तो वह........ सकता है।
3 मैंने परीक्षा में 98% अंक पाए तो मेरे मित्र के.........।
4 लगातार वर्षा होने के कारण भागलपुर से देवघर तक सड़क चौड़ा करने का काम......
है।
5 नीचे डाकू घर लूटते रहे और सेठ जी..... सोते रहे।
6 इतने विद्वान पुरुष होकर तुम परीक्षा में नकल कर रहे हो तुम्हें तो...... चाहिए।
7 बिहारी के दोहे....... के लिए प्रसिद्ध है।
8 एक समय ऐसा भी आया जब महाराणा प्रताप जैसे प्रतापी राजा....... हो गए ।
9 मालिक के बीमार पड़ते ही आरिफ भाई खातों में.......।
10 आज सैकड़ों शिक्षित युवा..... के लिए मजबूर है।
11 जिस काम को ठीक से जानते समझते नहीं उसमें क्यों.... हो?

Answers

Answered by SUMANTHTHEGREAT
2

‘पर्यावरण’ शब्द दो शब्दों ‘परि’ और ‘आवरण’ के मेल से बना है, जिसका अर्थ है-हमारे चारों ओर का आवरण | वह आवरण, जिसमें ऐसे अनेक तत्व निहित हैं, जिनसे जीवन फलता-फूलता है। इन तत्वों का उचित संतुलन पर्यावरण को ऐसा रूप देता है, जिसमें धरती पर उपस्थित जीवधारियों को जीवन के अनुकूल परिस्थितियाँ प्राप्त होती हैं, किंतु जब यही संतुलन बिगड़ता है, तब सभी जीवधारियों के लिए परिस्थितियाँ कठिन से कठिनतम होती चली जाती हैं | सच मानिए तो जीवनदायी तत्वों से भरा हमारा पर्यावरण हमारे प्राणों का आधार है । इसके संतुलन में ही हमारी भलाई है। इसका असंतुलित होना हमारे लिए प्राणघातक है, किंतु इसे मानव-जीवन की विडंबना ही कहा जाएगा कि बुद्धिजीवी होते हुए भी हम मनुष्य शायद ऐसी बातें भूल चुके हैं, तभी तो पर्यावरण की इस कदर अनदेखी कर रहे हैं कि जैसे उससे हमारे जीवन का कोई वास्ता ही न हो । आज विज्ञान की प्रगति के नाम पर किए जा रहे उचित-अनुचित परीक्षण, वैज्ञानिक आविष्कारों के अनुचित उपयोग, शहर व कारखानों की गंदगी से बेहाल होती नदियों व बढ़ते प्रदूषण ने पर्यावरण का मानो दम घोंट दिया है। पर्यावरण कराह रहा है, प्रकृति आक्रोश में है । ग्लोबल वॉर्मिंग,ग्लेशियरों का पिघलना, मौसम-चक्रों का अव्यवस्थित होना, बादल फटना, बाढ़, तूफ़ान, भूकंप आदि का आना तथा नित्य नई-नई बीमारियों का बढ़ना प्रकृति के आक्रोश तथा मनुष्य के द्वारा किए जा रहे पर्यावरण की उपेक्षा के ही परिणाम हैं । सोचिए, क्या ऐसा करके मनुष्य अपनी कब्र अपने आप ही तैयार करने में नहीं जुट गया है। ऐसा करके हम अगली पीढ़ी को कैसा पर्यावरण सौंपने जा रहे हैं, क्या हमने इस पर विचार करना छोड़ दिया है। अच्छा होगा कि मनुष्य निजी स्वार्थ को छोड़कर पर्यावरण-संरक्षण का दायित्व निभाए, तभी भावी पीढ़ी उसे उसकी अच्छाइयों के लिए याद करेगी ।।

(i) पर्यावरण का जीवन के साथ क्या संबंध है? गद्यांश के आधार पर विचार करके लिखिए। [2]

(ii) गद्यांश में मानव-जीवन की विडंबना किसे बताया गया है? [2]

(iii) पर्यावरण की उपेक्षा के परिणामों को अपने शब्दों में लिखिए। [2]

(iv) भावी पीढ़ी आज की पीढ़ी को कब याद करेगी? [2]

(v) उपर्युक्त

Answered by jainishdesai473
4

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