achrya bharat muni natya mandap
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भरत मुनि कहते हैं, ''न तज्ज्ञानं न तच्छिल्पं न सा विद्या न सा कला। नासौ योगो न तत्कर्म नाट्येडस्मिन यन्न दृश्यते।।'' अर्थात् न ऐसा कोई ज्ञान है, न शिल्प, न कोई ऐसी विद्या, न कला, न योग और नहीं कोई कर्म, जो नाट्य में न पाया जाता हो।
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