India Languages, asked by gnanibarbie6880, 11 months ago

Adhunik bhartiya bhasha ki lipi ka vikas kis murlipura

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Answered by riyaz112
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Answer:

प्राचीन भारत की दो लिपियों में "खरोष्ठी" दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी और ब्राह्मी बाएँ से दाएँ। प्राय: यहाँ के पश्चिमोत्तर सीमाप्रदेशों (पंजाब, कश्मीर) में ही प्राचीन काल में खरोष्ठी का प्रचार था। दूसरी लिपि "ब्राह्मी" का क्षेत्र अत्यंत व्यापक था। भारतीयों की परंपरागत मान्यता के अनुसार संस्कृत भाषा (ब्राह्मी या भारती) और ब्राह्मीलिपि का प्रवर्तन सृष्टिकर्ता "ब्रह्मा" द्वारा आरंभिक युग में हुआ। कदाचित् इस कल्पना या मान्यता का आधार "ब्राह्मी" नाम है। "ब्राह्मी तु भारतीय भाषा गीर्वाग्वाणी सरस्वती" द्वारा "अमरकोश" ने "ब्राह्मी" पद के अर्थबोध की व्यापक दृष्टि का संकेत किया है। यह शब्द "सरस्वती" का भी और "भाषा" (मुख्यत: संस्कृत भाषा) का भी अभिधान है। पर इन पौराणिक और परंपरागत सिद्धांतों में पूर्व और पश्चिम के आधुनिक इतिहासवेत्ता आस्था नहीं रखते।

"वेद" या "वैदिक वाङ्मय" के लिए प्रचलित "श्रुति" शब्द के आधार पर अनेक पाश्चात्य पंडितों ने सिद्धांत निकाला है कि "दशोपनिषत्काल" तक निश्चय ही भारत में लेखनविद्या या लिपिकला का अभाव था। वैदिक वाङ्मय का अध्यापन गुरु शिष्य की मुख परंपरा और स्रवण परंपरा से होता था। लिपि का अभाव ही उसका मुख्य कारण था। "पाणिनि" को ई.पू. चतुर्थ शताब्दी का माननेवाले "मैक्समूलर" के मत से उस समय तक लिपि का अभाव था। "बर्नेल" के अनुसार (अशोक) लिपि का उद्भव फिनीशियावासियों से लिखना सीखने के बाद उन्हीं की लिपि से हुआ। यूरोप की भी प्राय: अधिकांश लिपियाँ उसी लिपि से विकसित मानी गई हैं। भारत में इसका प्रवेश ई.पू. 500 से 400 तक के बीच हुआ। उक्त मत से असहमति प्रकट करते हुए "बूलर" का कहना है कि भारत में प्राचीन लिपि का विकास "सामी" (सेमिटिक) लिपि से हुआ है, जिसके अक्षरों का प्रवेश ई.पू. 800 के आस पास (संभवत:) हुआ था। ई.पू. 500 के लगभग अथवा उससे भी पूर्व भारतीयों द्वारा ब्राह्मी के विकास और निर्माण का कार्य बड़े श्रम से संपन्न हो गया था। "बूलर" ने लिपि-विद्या-संबंधी ग्रंथ में कहा है कि कुछ नव्यतम प्रमाणों के आधार पर भारत में लिपि के प्रवेश का समय ई.पू. 10वीं शती या उससे भी पूर्व स्थिर किया जा सकता है।


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