Adhunik Nari par nibandh
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Hey mate
हमारे भारतीय समाज में नारी को बचपन से ही कुछ संस्कार दिए जाते है .और वो संस्कार उसे सहज कर रखना होता है .
जैसे धीरे बोलों ,किसी के सामने ज्यादा नहीं ,गंभीर बनो यानी समझदार बन कर रहो ,ये लबादा बचपन से ही ओड़ा दिया जाता है .बचपन तो जैसे उस बच्ची का ना जाने किस अँधेरे कमरे में गुम हो जाता है .
हमारा पुरूष प्रधान देश क्यु नहीं समझता कि नारी प्रकृति का अनमोल उपहार है .उसकेमन में कुछ कोमल संवेदनाये होती है .जो उसे खुबसूरत बनाती है .वो एक ममता का रूप है और इस ममता रूपी नारी को हर रूप में हमेशा छल कपट ही मिला है .परन्तु आज की नारी इन सब बातो को छोड़कर काफी आगे निकल आई है .
आज नारी में आधुनिक बनने की होड़ लगी है .नारी के जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है .वो है क्षेत्र में बड़ रही है .बदल रही है और ये परिवर्तन सभी को देखने को मिल रहा है .
पहले नारी का जीवन घर की चार दीवारों में ही बीत जाता था .चूल्हा चौका करके और संतानोत्पति तक ही उसका जीवन सिमित था .विशेष रूप से नारी का एक ही कर्त्तव्य था .घर संभालना .उसे घर की इज्जत मान कर घर में ही परदे के पीछे रखा जाता था .उसे माँ के रूप में ,पत्नी के रूप में ,पुत्री के रूप ,में ही सम्मान प्राप्त था .
आज नारी का कदम घर से बाहर की और बड़ गया है .पहले नारी के वस्त्रो पर ध्यान दिया जाता था नारी केवल साडी ही पहन सकती थी .मतलव अपने आप को उसे पूरी तरह से ढक कर रखना नारी का कर्य था .आज की नारी बोहोत आगे निकल गई है .उसकी वेशभूषा काफी बदल गयी है .वो अब अपनी मनचाही वेशभूषा के लिए स्वतंत्र है .
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