अफसर निबंध का
सारांश लिखिए।
Answers
Answer:
उत्तर- श्री शरद जोशी ने अफसर पर अपना व्यंग्य प्रस्तुत किया है, वे दफ्तर के मुख्य अधिकारी जिसे अफ़सर कहा जाता है, उसके गुणों का बखान करते हुए अपने-अपने व्यंग्य-बाण छोड़ते हैं। वे कहते हैं प्रशासनिक ढाँचे में ढलकर अफसर तैयार होता है । अफसर आता है, चला जाता है किन्तु अफसर मरता नहीं, जिस तरह शरीर के त्याग दिए।
Answer:
अफसर निबंध का सारांश इस प्रकार है-
Explanation:
श्री शरद जोशी ने अधिकारी पर अपना व्यंग्य प्रस्तुत किया है, वह कार्यालय के मुख्य अधिकारी के गुणों की प्रशंसा करते हुए अपना व्यंग्य छोड़ देता है जिसे अधिकारी कहा जाता है। उनका कहना है कि प्रशासनिक ढाँचे में ढलकर एक अधिकारी तैयार किया जाता है। अधिकारी आता है और चला जाता है, लेकिन अधिकारी मरता नहीं है, जैसे शरीर छोड़ दिया जाता है।
लेखक कहना चाहता है कि एक अधिकारी द्वारा अपना अधिकार दिखाना एक प्रशासनिक प्रथा बन गई है, अर्थात अधिकारी एक अधिकारी रहता है, अधिकारी आते हैं और जाते हैं, अर्थात कुर्सी पर बैठे अधिकारी बदलते रहते हैं, लेकिन वह है उस कुर्सी पर बैठे व्यक्ति का स्वभाव। जो व्यवहार है, जो अधिकारी का कलंक है, वही रहता है।
यह हमारी व्यवस्था की कमी को दर्शाने वाला व्यंग्य है, जिसमें एक अधिकारी आता है, चला जाता है, दूसरा अधिकारी आता है, लेकिन व्यवस्था वही रहती है। कुर्सी बदलती रहती है, अफसर बदलते रहते हैं। लेकिन उनका चरित्र और उनकी प्रवृत्ति वही रहती है। जहां हर कोई रिश्वतखोर है। यह कहानी प्रेम की श्रेष्ठता और उसके लिए बचपन के प्रेमी के त्याग और बलिदान को व्यक्त करती है।
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