Hindi, asked by singireddyyashwanthr, 6 months ago


अहिंसा बिना सत्य की खोज असंभव है। अहिंसा और सत्य दोनों ऐसे हैं जैसे सिक्के के दोनों रुख
या चिकनी चकती के दो पहलू। उसमें किसे उल्टा कहे, किसे सीधा ? फिर भी अहिंसा को साधन
और सत्य को साध्य मानना चाहिए। साधन अपने हाथ की बात है। इससे अहिंसा परम धर्म मानी गई।
सत्य परमेश्वर हुआ। साधन की चिंता करते रहने पर साध्य के दर्शन किसी दिन कर ही लेंगे। इतना
निश्चय करना, जग जीत लेना है। हमारे मार्ग में चाहे जो संकट आए, बाह्य दृष्टि से देखने पर हमारी
चाहे जितनी हार होती दिखाई दे, तो भी हमें विश्वास न छोडकर एक ही मंत्र अपनाना और जपना
चाहिए - सत्य एक है, उसी तरह जैसे वह परमेश्वर एक है। उसके साक्षात्कार का एक ही मार्ग है,
एक ही साधन हैं अहिंसा। उसे छोडना श्रेयस्कर नहीं है।

1 सत्य को क्या मानना चाहिए?
2 किसके बिना सत्य की खोज असंभव है?
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अनेक कठिनाइयाँ आने पर भी हमें जो मंत्र जपना चाहिए। वह क्या है?
'4ईश्वर से साक्षात्कार का साधन क्या है?
5 हमें ईश्वर से क्या प्रार्थना करनी चाहिए ?​

Answers

Answered by bhatiamona
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1 सत्य को क्या मानना चाहिए?

सत्य को साध्य मानना चाहिए।

2 किसके बिना सत्य की खोज असंभव है?

अहिंसा के बिना सत्य की खोज असंभव है।

3 अनेक कठिनाइयाँ आने पर भी हमें जो मंत्र जपना चाहिए। वह क्या है?

अनेक कठिनाइयाँ आने पर भी हमें ये मंत्र अपनाना चाहिए कि सत्य एक है, उसी तरह जैसे वह परमेश्वर एक है। उसके साक्षात्कार का एक ही मार्ग है, एक ही साधन हैं अहिंसा।

4 ईश्वर से साक्षात्कार का साधन क्या है?

ईश्वर से साक्षात्कार का साधन अहिंसा है।

5 हमें ईश्वर से क्या प्रार्थना करनी चाहिए ?​

हमें ईश्वर से ये प्रार्थना करनी चाहिए कि हम सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चल सकें।

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