Hindi, asked by firojmalik838383, 8 months ago

अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार
नियंत्रण नीति क्यों आरम्भ की?
इसकी विशेषताओं का विवेचन
कीजिये।


Answers

Answered by shishir303
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अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण नीति इसलिए आरंभ की ताकि वह अपने लिए विशाल सेना को संगठित कर सके।  

अलाउद्दीन खिलजी को अपने साम्राज्य विस्तार की महत्वाकांक्षा थी। इसके लिए उसे विशाल सेना की आवश्यकता थी। उसके पास जितना धन था उससे उसने अनुमान लगाया कि यदि वह सामान्य वेतन पर भी सेना को संगठित करेगा तो शीघ्र ही उसका धन समाप्त हो जाएगा। ऐसी स्थिति में उसने अपने सैनिकों के वेतन को कम करने का निश्चय किया। परन्तु अपने सैनिकों को किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी से बचाने हेतु उसने बाजार में जीवन आवश्यक वस्तुओं के दाम निश्चित कर दिए। यही उसकी बाजार नियंत्रण नीति कहलाई गई। इस नीति में 4 तरह के प्रमुख बाजार थेय़

  • गल्ला बाजार यानी अनाज मंडी : गल्ला बाजार में विभिन्न तरह के अनाज सरकार द्वारा तय किए गए मूल्यों पर बेचे जाते थे। इस बाजार में शहना-ए-मंडी के दफ्तर में नामांकित व्यापारी ही अपना अनाज बेच पाते थे। इस तरह के बाजारों में अनाजों की आमद निरंतर बनी रहे, इसके लिए अलाउद्दीन ने भू-राजस्व के रूप में अनाजों की वसूली की।  
  • सराय-ए-अदल : इस तरह के बाजारों में विभिन्न तरह के कपड़ों कथा जड़ी-बूटी, घी-तेल जैसी अनेक जीवन आवश्यक वस्तुएं बेची जाती थी। इस बाजार का प्रमुख राय परवाना कहलाता था। अलाउद्दीन खिलजी कपड़े के व्यापारियों को कम कीमत पर कपड़े बेचने के लिए सब्सिडी प्रदान करता था।  
  • गुलामो तथा पशुओं का बाजार : इस तरह के बाजार में अलग-अलग किस्म के पशु तथा मानव गुलामों का क्रय विक्रय होता था तथा इनकी एक निश्चित दर सरकार द्वारा तय कर दी गई थी। उसी दर के आधार पर इन पशुओं और गुलामों की खरीद फरोख्त की जाती थी।  
  • सामान्य बाजार : यह सामान्य तरह के बाजार होते थे, जिनमें छोटी-छोटी आवश्यक वस्तुओं की बिक्री होती थी। जैसे खानपान की वस्तुएं, मिठाई, सब्जियां, जूते-चप्पल, टोपी, आईना, कंघा, बर्तन के अलावा अन्य घरेलू आवश्यक वस्तुयें आदि। इन सभी वस्तुओं की दर सरकार द्वारा निश्चित कर दी जाती थी।

अलाउद्दीन की बाजार नियंत्रण नीति पूरी तरह सफल रही थी और जिस उद्देश्य के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने इस बाजार नियंत्रण नीति को बनाया था, उसका वह कार्य सफल हुआ। अलाउद्दीन के समय में ना तो वस्तुओं के दाम बहुत अधिक बढ़े और ना ही बहुत अधिक कम हुए। वस्तुओं के दाम में स्थिरता अलादीन की बाजार नियंत्रण नीति एक सफलता थी।

अलाउद्दीन की बाजार नियंत्रण संबंधी नीति के आठ अधिनियम प्रमुख थे।

  • पहले अधिनियम में सभी तरह के बाजारों का भाव निश्चित कर दिया गया।
  • दूसरे अधिनियम में मालिक कबूल उलूक खनी को शहना-ए-मंडी नियुक्त किया गया था।
  • तीसरे अधिनियम में सरकारी गोदामों में भंडारण किया गया।
  • चौथे अधिनियम के अंतर्गत राज्य के सभी वाहक शहना-ए-मंडी के अधीन करके उन्हें दिल्ली के आसपास ही बसा दिया गया।
  • पांचवा अधिनियम जमाखोरी रोकने से संबंधित था।
  • छठे अधिनियम के अंतर्गत प्रशासकीय और राजस्व अधिकारियों को किसानों और व्यापारियों को निश्चित मूल पर अनार दिलवाने के लिए आदेश दिए गए।
  • सातवें अधिनियम में मंडी से संबंधित रिपोर्ट प्राप्त की जाती थीं।
  • आठवां अधिनियम अकाल या किसी आपदा के समय अनाजों के भंडारण से संबंधित था।

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