अमीबा में बहिक्षेपण क्रिया को समझाइए।
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भोजन के पाचन के पश्चात् शेष अपचित पदार्थ को शरीर बाहर निकालना बहिक्षेपण (Ejection) कहलाता है। बहिंक्षेपण के समय खाद्यधानी प्रायः अमीबा के पश्च सिरे पर जीवद्रव्य कला के
सम्पर्क में आती है। जीवद्रव्य कला फटकर भोज्य अवशेष को बाहर निकलने का मार्ग प्रदान करती है।
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स्वभाव व वास्थान :- वंश अमीबा की अनेक जातियों में से कुछ स्वच्छ जल तो कुछ लवणीय जल में पाई जाती है। अमीबा गमनशील मुक्तजीवी होते है। अमीबा लगभग समस्त संसार में पाए जाते है।
सामान्य लक्षण :- अमीबा एक अनियमित आकृति का सरल एककोशिक जीव है। अमीबा के शरीर पर प्लाज्माकला का एक पतला आवरण पाया जाता है। प्लाज्माकला जीवद्रव्य को अन्दर से बाहर नहीं आने देती है परन्तु यह अर्ध-पारगम्य होने के कारण जल, ऑक्सीजन तथा कार्बन-डाइ-ऑक्साइड के आदान-प्रदान को अनुमत करती है। प्लाज्माकला के नीचे दो स्तर पाए जाते है। पहला भाग एक पतली, स्पष्ट व अकणिकामय परत का होता है जिसे एक्टोप्लाज्म कहा जाता है। एक्टोप्लाज्म के नीचे का सम्पूर्ण भाग एन्डोप्लाज्म कहलाता है। यह कणिकामय होता है। एन्डोप्लाज्म स्वयं दो भागों का बना होता है। पहला भाग बाहरी एवं सख्त होता है, इसे प्लैज्माजेल कहा जाता है। दूसरा अन्दर का हिस्सा प्लैज्मासोल कहलाता है। प्लैज्मासोल का जीवद्रव्य घूमता रहता है इस क्रिया को जीवद्रव्यभ्रमण कहा जाता है। एन्डोप्लाज्म(अंतर्द्रव्य) में केन्द्रक, संकुंचनशील धानियां , एक या अनेक खाद्य-धानियां व अन्य धानियां, वसा-धानियां, क्रिस्टल आदि संरचनाएं मिलती है।