अमूल डेयरी एक ग्रामीण विकास सफलता की कहानी है। यह 16 लाख लोगों
को रोज़गार प्रदान करती है, किंतु एक समुचित वितरण प्रणाली के बिना उनके
लिए ऐसा करना समर्थकारी नहीं होगा। ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में शिल्प उत्पादों
के लिए समुचित वितरण प्रणाली क्या होगी?
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gramin Vikas safalta ki kahani hai 16 lakh logon Ko rojgar pradan karte hain kintu samuchit vitran pranali ke Bina uske liye kaisa chamatkari nahin hoga gramin Kshetra mein sirf utpadan ke liye samay Alia hogi ki dudh ki jyada se jyada chamatkari hona AVN jyada se jyada naukariyan Dena yahi hamare liye sabse samuchit vitran pranali hogi
Explanation:
- agar aapke pass samuchit pranali hogi to aapka Jo dur Ho kharab nahin ho sakta sirf utpadan ko lekar agar aap kisanon ko rojgar dete Hain
- aap kisanon mein vitran pranali ke Bina uske liye kaise chamatkari ban sakta hai
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अमूल डेयरी एक ग्रामीण विकास सफलता की कहानी है। यह 16 लाख लोगों
को रोज़गार प्रदान करती है, किंतु एक समुचित वितरण प्रणाली के बिना उनके
लिए ऐसा करना समर्थकारी नहीं होगा। ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में शिल्प उत्पादों
के लिए समुचित वितरण प्रणाली क्या होगी?
Explanation:
उत्तर :- शहरी लोगों की मांगों की पूर्ति के लिए अक्सर ग्रामीण समाज से आए शिल्पकारी को काफी असुविधा होती हैं। क्योंकि भारत में गावों और सहरों के मध्य मौजूद दूरी कारोबार के लिए बहुत बड़ा मुसीबत करता हैं। आम तौर पर सहरी लोगों को त्योहारों में ग्रामीण इलाकों में बनी वस्तुएँ की जरूरत पड़ती हैं।
इसलिए गावों के व्यापारी अपने समान के साथ सहारों में बेचने के लिए आते हैं। इसके अलावा अगर गावों का शिल्पकार सहर तक आ कर अपने समान को बेचने में असमर्थ रहता हैं तो वह बिचौलियों की मदद लेता हैं जिससे उस वस्तु की कीमत कई अधिक हो जाता हैं।
तो, अगर हम लोग गावों को सहरों से सही पक्के सड़क से जोड़ दें तो, ग्रामीण वस्तुओं का विपणन सही से होने लगेगा तथा गुजरात के आनंद कंपनी जैसे सफलता भी मिल पाएगी।
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