अनुच्च्जेद सच्चा मित्र
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सच्चा मित्र वही होता हैं, जो सत्यवादी, कर्तव्यनिष्ठ, कार्य कुशल और व्यवहार में ईमानदार होता हैं | उसके मन में कभी भी स्वार्थ की भावना नहीं होती हैं | उसके अंदर दृढ़ निश्चय, सहिष्णुता और उदारता की भावना होती हैं |
एक सच्चा मित्र अपने दोस्त के लिए अपना तन, मन और धन यह सबकुछ त्याग करता हैं | ऐसा मित्र अपने दोस्त की प्रगति को देखकर खुश हो जाता हैं | सच्चा मित्र अपने दोस्त के सामने कभी भी झूठा दिखावा नहीं करता हैं |
दूसरों के सामने अपने दोस्त की निंदा नहीं करता हैं | वो अपने स्वार्थ के लिए उसे नुकसान नहीं पहुंचता हैं | सच्चा मित्र अपने दोस्त को किसी भी प्रकार का धोखा नहीं देता हैं | सच्चा मित्र अपने दोस्त के हर एक सुख – दुःख में साथ देता हैं | वो अपने दोस्त को हमेशा सही राह पर चलने की सीख देता हैं | उसे बुराई की राह पर चलने से बचाता हैं |
सच्चा मित्र कभी अपने दोस्त को भटकने देता हैं ना उसे सही रास्ता भूलने देता हैं | सच्चा मित्र अपने दोस्त की मुश्किलों में कभी साथ नहीं छोड़ता हैं | इस दुनिया में हर एक व्यक्ति बहुत सारे रिश्तों से जुडा हुआ हैं | लेकिन मित्रता यह एक ऐसा रिश्ता हैं, जो समय के साथ – साथ खुद चुनता हैं |
मित्रता का रिश्ता यह दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता होता हैं | सच्ची मित्रता यह दो दिलों को जोड़ने का कार्य करती हैं |
सच्ची मित्रता की जरुरत भगवान को भी थी | जैसे की भगवान श्रीकृष्ण के भी सुधामा यह सच्चे मित्र थे उनसे लम्बे समय के बाद मिलने पर भगवान श्रीकृष्ण रो पड़े थे |