अनुच्छेद-वर्षा रितु का एक दिन
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जून माह से शुरू हो ने वाली वर्षा ऋतु हमें अप्रैल और मई की भीषण गर्मी से राहत दिलाती है।यह मौसम भारतीय किसानों के लिए बेहद ही हितकारी एवं महत्वपूर्ण है।
'हवाएं हमेशा उच्च वायुदाब से कम वायुदाबवाले इलाके की ओर चलती हैं।' अब बात फिर शुरू करते हैं।गर्मी के दिनों में भारत के उत्तरी मैदान और प्रायद्वीपपठार भीषण गर्मी से तपते हैं और यहां निम्नवायुदाबका क्षेत्र बन जाता है।
इसके उलट दक्षिण में हिन्दमहासागर ठंडा रहता है।ऐसी भीषण गर्मी के कारण ही महासागर से नमी लेकर हवाएं भारत के दक्षिणी तटसे देशमें प्रवेश में करती हैं।
1 जून के करीब केरल तट और अंदमान निकोबार द्वीप समूह में मानसून सक्रिय हो जाता है।हमारे देश में वर्षा ऋतु के अमूमन तीन या चार महीने माने गए हैं।दक्षिण में ज्यादा दिनों तक पानी बरसता है यानी वहां वर्षा ऋतु ज्यादा लंबी होती है जबकि जैसे-जैसे हम दक्षिण सेउत्तर कीओर जाते हैं तो वर्षा के दिन कम होते जाते हैं।
वर्षा का मानव जीवन में बेहद ही महत्व है क्यों कि पानी के बिना जीवन संभव नहीं है।
वर्षा से फसलों के लिए पानी मिलता है तथा सूखे हुए कुएं, तालाबों तथा नदियों को फिरसे भरने का कार्य वर्षा के द्वारा ही किया जाता है। इसी लिए कहा जाता है कि जल ही जीवन है।
इस मौसम में छोटे-छोटे जीव-जंतु जो गर्मी के मारे जमीन के नीचे छिपजाते हैं, बाहर निकल जाते हैं।मेंढ़क की टर्र-टर्र की आवाज सुना ईपड़ने लगती है। आकाश में प्राय: बादल छाए रहते हैं।
वर्षा ऋतु का आनंद लेने के लिए लोग पिकनिक मनाते हैं। गांवों में सावन के झूलोंपर युवतियां झूलती हैं। वर्षा ऋतु में ही रक्षाबंधन, तीज आदित्योहार आते हैं।इस ऋतु में अनेक बीमारियां भी फैलजाती हैं।
मानव जीवन में जलका अत्यंत महत्व है। इसीलिए अच्छी वर्षा के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़पौधे लगाने चाहिए ताकि हमारा पर्यावरण स्वच्छ और हराभरा बना रहें।
वर्षा ऋतु का अपना अलग ही महत्त्व है । गर्मी की उमस से के लिए वर्षा का आगमन होता है । किसानों के लिए तो बरसात किसी वरदान से कम नहीं होती । कृषि की बरसात का जल किसानों को ईश्वर की भेंट माना जाता है । कुछ दशक पहले जब सिंचाई के आधुनिक साधन नहीं वर्षा न होने पर किसा हवन-पूजन आदि द्वारा ईश्वर से वर्षा के लिए प्रार्थना किया करते थ घर से बाहर निकलते ही सभी बच्चों के शरीर से पसीना निकलना शुरू हो जाता था । पिछले कई दिनों से हम सभी बच्चे बरसात को याद कर रहे थे कि काश ! एक बार छमाछम बरसात शुरू हो जाए तो इस तपती गर्मी से छुटकारा मिले । उस दिन मैं स्कूल जाने की तैयारी कर ही रहा था कि तेज हवा चलने लगी । बाहर आकर देखा, आसमान में बादल घिर आए थे । कुछ देर बाद तेज हवा चलनी बन्द हो गयी, लेकिन आसमान में बिजली चमकने लगी और बादल गरजने लगे । तभी आसमान से वर्षा की बूंदें झर-झर करती बरसने लगी । मुहल्ले के कुछ बच्चे खुशी से चहकने लगे और अपनी स्कूल यूनीफॉर्म उतारकर आसमान के नीचे बरसात की छमाछम का आनन्द लेने लगे । मैंने भी माता जी से बाहर बरसात में भीगने की अनुमति माँगी, लेकिन उन्होंने तबीयत खराब हो जाने का डर दिखा कर मुझे रोक लिया । उन्होंने यह भी कहा कि कुछ ही देर में बरसात बन्द होने वाली है, इसलिए मैं स्कूल जाने के लिए तैयार रहूँ । मैं मन मारकर अपना बस्ता लगाने लगा । माताजी के वचन सत्य निकले । कुछ ही देर बाद बरसात बन्द हो गयी । मैं अपना बस्ता लेकर स्कूल जाने के लिए चल दिया ।
मेरा स्कूल घर से अधिक दूर नहीं था, लेकिन उस दिन मैं स्कूल नहीं पहुँच सका । रास्ते में पुन: तेज हवा के साथ वर्षा की बूंदें गिरने लगी । मैं दौड़कर बरसात से बचने की जगह ढूँढने लगा । सड़क पर पैदल आ-जा रहे सभी लोग इधर-उधर भागने लगे । मैंने एक दुकान के आगे शरण ली ।
अन्य लोग भी बाजार की दुकानों के आगे शरण लेने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे । आसमान में भयभीत कर देने वाली तेज बिजली कड़की और तीव्र वेग से होने लगी । अब दुकानों के आगे खड़े रहकर से बचना सम्भव नहीं था । सभी लोग अपने आप में ही दुकानों की दीवारों से चिपके खड़े थे, पर बरसात की तेज वहाँ भी उनका पीछा कर रही थीं ।
मेरी पतलून पुटनों तक गयी थी । कुछ देर बाद तेज हवा के झोकों के साथ बरसात ने मुझे गर्दन तक भिगो दिया । बरसात रुकने का नाम नहीं ले रही थी । सड़क पानी में डूब थी और सड़क का पानी बाजार की दुकानों के अन्दर प्रवेश लगा था । दुकानदार चिंतित थे और अपना-अपना सामान की कोशिश कर रहे थे ।
सड़क पर वाहनों का आवागमन बन्द हो गया था । लेकिन कोई बड़ा वाहन ट्रक, कार जब भी हमारे सामने से गुजरता, सड़क के गंदे पानी से भिगो देता । लगभग दो घंटे बाद बरसात रुकी, तो लोगों ने राहत की साँस तुरंत सभी अपनी-अपनी दिशा में बढ़ने लगे ।
लेकिन पानी बी सड़क पर चलना अब आसान नहीं रह गया था । सभी धीरे-धीरे पानी में ‘छप-छप’ करते आगे बढ़ रहे थे । भीगे कपड़े और सड़क पर बाढ़ जैसी स्थिति, ऐसे में मैंने स्कूल जाने का विचार त्याग कर वापस घर की राह पकड़ ली ।