अनुराग छात्रावास महात्मा गांधी मार्ग, नागपुर से विजय/ विजया भालेराव अपने जीवन स्वप्न का वर्णन करते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखता /लिखती है।
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Answer:
अनुराग छात्रावास महात्मा गांधी मार्ग नगर पुर से विजय भालेराव अपने जीवन स्वप्न का वर्णन करते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखता है :
प्रेषक : अनुराग,
छात्रावास,
महात्मा गाँधी मार्ग, आदरणीय पिता श्री,
नमस्ते पिता जी आशा करता हूँ, आप ठीक होंगे। मैं भी छात्रावास में ठीक हूँ। यहाँ छात्रवास में सब कुछ बहुत अच्छा है। मेरी पढ़ाई भी बहुत अच्छी चली है | पिता जी पत्र में आपको अपने स्वप्न के बारे में बताना चाहता हूँ। पिता जी मैं बारवीं कक्षा के बाद डॉक्टर बनना चाहता हूँ। मैं बहुत मेहनत करूंगा। पिता मुझे अपने अपने स्वप्न को पूरा करने के लिए आपका साथ चाहिए । अपना ध्यान रखना । आपके पत्र का इंतजार करूंगा।
आपका बेटा,
विजय भालेराव
Explanation:
- Hope you anderstand
Answer:
11 अक्तूबर, 2019
आदरणीय पिता जी,
सादर चरण स्पर्श।
आपका पत्र प्राप्त हुआ। बड़ी प्रसन्नता हुई। यहाँ मेरा मन लग गया है। नए परिवेश में प्रारंभ में तो घर की बहुत याद आती थी, पर अब मेरे कई मित्र बन गए हैं।
पिता जी, आपने अपने पत्र में मुझसे पूछा है कि में भविष्य में क्या बनना चाहता हूँ? | मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है? जब से आपका पत्र मिला, में इसी सोच-विचार में हूँ। कि मुझे क्या बनना चाहिए? या मैं क्या बनना चाहता हूँ? पिता जी, बार-बार विचार करने पर मुझे समझ आया कि मुझे डॉक्टर बनना चाहिए। आप जानते ही हैं कि हमारा | देश स्वास्थ्य सेवा की दृष्टि से कितना पिछड़ा हुआ है। प्रति वर्ष न जाने कितने व्यक्ति चिकित्सा के अभाव में काल का शिकार बन जाते हैं। मुझे सेवा-भाव से ओत प्रोत यह व्यवसाय बचपन से ही आकर्षित करता रहा है। इसी पेशे को अपनाकर में समाज की बहुत अच्छी तरह सेवा कर पाऊँगा, साथ ही एक सम्मानित जीवन भी व्यतीत कर पाऊँगा।
माता जी को सादर प्रणाम कहिए। पत्र दीजिए।
आपका पुत्र,
विजय भालेराव
2, अनुराग छात्रावास ,
महात्मा गांधी मार्ग ,
नागपूर 440005 .