Hindi, asked by krishnpal, 1 year ago

अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं​

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Answered by hari961
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जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

अथवा जब अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाता है , तब अन्योक्ति अलंकार होता है। जैसे-

1. नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।

अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

स्पष्टीकरण -

यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे।

2. इहिं आस अटक्यो रहत, अली गुलाब के मूल।

अइहैं फेरि बसंत रितु, इन डारन के मूल।।

3. माली आवत देखकर कलियन करी पुकार।

फूले-फूले चुन लिए , काल्हि हमारी बारि।।

4. केला तबहिं न चेतिया, जब ढिग लागी बेर।

अब ते चेते का भया , जब कांटन्ह लीन्हा घेर।।


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Answered by Anonymous
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जिस अलंकार में किसी और वक्ता का सहारा लेकर बात स्पष्ट की जाती है, वहां अन्योक्ति अलंकार होता है। किसी माध्यम के जरिए, ( फूल, पत्ते, पत्थर इत्यादि) के माध्यम से बातों को सीधा ना कह कर, घुमा फिराकर कहा जाता है।

जैसे : फूलों के आसपास रहते हैं, फिर भी काँटे उदास रहते हैं।


krishnpal: hy
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