अनाज़ से भरी बैलगाड़ी हाँकने वाला बूढ़ा किसान कौन था? (परीक्षा पाठ 3 कक्षा 8वीं)
Answers
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में करीब 30 साल पहले तवा परियोजना की नहरें आईं। इसके साथ ही परंपरागत बीजों की जगह प्यासे संकर बीज आए। देशी गोबर खाद की जगह रासायनिक खाद का इस्तेमाल होने लगा। हल-बैल की जगह ट्रैक्टर से जुताई होने लगी। खेत और बैल का रिश्ता टूटने लगा। यह बदलाव देश और प्रदेश में भी हरित क्राति के साथ आए, लेकिन यहां बहुत तेजी से आए। इस बदलाव से समृद्धि का भी अहसास होता है। आधुनिक खेती में यह क्षेत्र अग्रणी रहा है। मध्य भारत में होशंगाबाद और हरदा जिले की खेती को हरित क्रांति का सबसे अच्छा मॉडल माना जाता था। शुरुआत में यहां पैदावार भी बढ़ी। खुशहाली आई लेकिन इसके साथ कई समस्याएं भी आई। गेहूं और सोयाबीन की पैदावार ठहर गई है। खाद, बीज, कीटनाशक दवाई, डीजल, बिजली, मशीनों आदि की लगातार बढ़ती कीमतें परेशानी का सबब बन गई हैं। इसी साल सोयाबीन की फसल खराब होने से होशंगाबाद जिले में 3 किसानों ने आत्महत्या कर ली है। हर रोज प्रदेश में 4 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों का संकट गहराता जा रहा है। वे सड़कों पर उतर रहे हैं। धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन उनकी मुसीबत कम नहीं हो रही है।
Explanation:
तवा बांध से सिंचाई के बाद पूरे कमांड क्षेत्र में जंगल, चारागाह तथा सामुदायिक उपयोग की भूमि लगभग खत्म हो गई है। चरोखर और पड़ती भूमि अब नहीं के बराबर है। इससे सबसे बड़ा नुकसान पारंपरिक पशुपालन का हुआ है। पशुओं की संख्या घटी है। इससे आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदाय के गरीब लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है। पहले देशी गाय, भैंस, बकरी, भेड़, गधे, घोड़े आदि से इनकी आजीविका चलती थी। लेकिन अब इनकी संख्या बहुत कम हो गई है या नहीं के बराबर है। अब जो डेयरी उद्योग के रूप में पशेपालन हो रहा है, वह बहुत महंगा और पूंजी प्रधान है। पशुधन कम होने का एक कारण मवेशियों के लिए चारे और भूसा की कमी है। गांव में पहले चरोखर की जमीन, नदी-नालों व गांव के आसपास की जमीन पर पशु चरा करते थे। अब यह सार्वजनिक उपयोग की जमीनें रसूखदार लोगों के कब्जे में है या उस पर खेती होने लगी है।