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HEY SHRUTI HERE IS YOUR ANSWER--
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---- HI SISTA ----
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पाँचों पतियों में से भीम द्रौपदी से सबसे अधिक प्रेम करता था। भीम ने ही हर कदम पर द्रोपदी का मान बचाया।
जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था और सभी मानव पत्थर बने बैठे थे तो केवल भीम ही था जो द्रौपदी के सम्मान के लिए जूझ रहा था, उस समय द्रौपदी की सहायता न कर पाने की वजह से वह अपने आप में ही घृणित अनुभव कर रहा था।
सर्वप्रथम जब दुर्योधन के कहने पर दुःशासन ने द्रोपदी का भरी सभा में अपमान किया तो उस समय पांचो पांडवो में से भीम ही था जो युधिष्ठिर के रोकने पर भी अपना गुस्सा ना रोक पाया और उसने भरे दरबार में दुःशासन के छाती के लहू को पीने और द्रौपदी के केश धुलवाने की अमानवीय प्रतिज्ञा की।
भीम ने उस समय क्रोध में दुर्योधन की जंघा तोड़ने की भी प्रतिज्ञा की जो की गदा युद्ध के नियमो के खिलाफ था।
जब पांडव अपना राजपाट परीक्षित को सौंप कर शरीर सहित स्वर्ग जाने के लिए निकले, उस समय भी भीम ने कदम - कदम पर द्रौपदी की सहायता की। इस दौरान जब द्रौपदी सरस्वती नदी को पार नहीं कर पा रही थी तब भीम ने एक चट्टान को उठा कर नदी के बीच में रख दिया। वह चट्टान आज भी भीम पुल के नाम से प्रसिद्ध है।
इसीलिए द्रौपदी ने अपने अंत समय में कहा कि भीम ही उसका असली पति है और अगले जन्म में वह भीम को ही अपने पति के रूप में पाना चाहती है।
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yah pratigya li ki Mai 100 se bhi jada Adhikari balwaan banunga