Anuchad on ' Gramin Jeevan '
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Explanation:
ग्रामीण जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप वही व्याप्त निरक्षरता है । अनपढ़ होने के कारण वे चालाक लोगों के कहने में आसानी से आ जाते है और अपना नुकसान कर बैठते हैं । वे अनेक रूढियों के शिकार रहते हैं । उनके अन्धविश्वास का लाभ अनेक ओझा, सयाने और पण्डित उठाते है । उनमें बाल-विवाह की प्रथा व्यापक रूप से फैली हुई है, जिसके कारण अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा होती हैं ।
ग्रामीणों के बीच विवाह, जन्म, मृत्यु जैसे सामाजिक अवसरों पर अपनी सामर्थ्य से बढ़कर खर्च करने की प्रथा है । इसके फलस्वरूप वे कर्ज़ के बोझ से दबे रहते हैं । गांवों में छोटी-छोटी बातों को लेकर अक्सर लड़ाई-झगड़े होते हैं और जरा-जरा सी बात पर लाठियाँ निकल आती हैं ।
कत्ल और खून जैसी वारदातें तो आम बाते हैं । भूमि सबंधी झगडों में लम्बी मुकदमेबाजी चलती है, जिसमें, उनकी गाढ़ी कमाई का एक बड़ा हिस्सा व्यर्थ से बरबाद हो जाता है । बहुत-से ग्रामीण शराब, गांजा, भांग, चरस जैसे नशीले पदार्थों के आदी हो जाते हैं ।
उपसंहार:
गांवों के लोग प्राकृतिक वातावरण में रहने से रचरथ तो होते हैं, पर उनके पास धन नहीं होता । वे बलवान तो होते हैं, लेकिन उनमें सभ्यता और सहनशीलता की बडी कमी होती है । वे बड़ी सीधे, सरल और भोले-भाले होते है । चालाकी और मक्कारी उनमे नाममात्र को भी नहीं होती । वे ईश्वर की सता पर पूरा विश्वास करते है और उसके भय से पाप से दूर रहते हैं । अक्सर वे रूढ़िवादी और अधविश्वासी होते हैं ।
वे अपने रीति-रिवाजों और परम्पराओं पर जान छिड़कते हैं । उनमें जात-पात का विचार कूट-कूट कर भरा हुआ होता है । समग्र रूप में ग्रामीण बडे सज्जन होते हैं । उनमें शिक्षा का प्रसार करके उनकी सभी बुराइयों आसानी से दूर की जा सकती हैं और ऐसा होने पर ग्रामीण जीवन स्वर्ग के समान बन जायेगा ।