Anuched on 'pinjre mein band pakshi ki atmakatha'
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मैं एक छोटी सी चिड़िया हूँ। मैं अपने माता पिता के साथ एक पेड़ पर एक घोसले में रहती थी। एक दिन बहुत अच्छा मौसम था और सुंदर हवा चल रही थी। मेरे माता पिता घर पर नहीं थे। मैं घोसले में बैठकर हवा का आनंद ले रही थी। मुझे ठीक से उड़ना नहीं आता था। इसलिए माँ ने बाहर जाने से पहले मुझे घोसले में ही रहने के लिए कहा था।
लेकिन इतनी सुंदर हवा चल रही थी। मैंने सोचा कि थोड़ी दूर तक उड़ कर देखते हैं। मैं उड़ने लगी। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। इस प्रकार मैं काफी दूर तक चली गयी। सामने एक तार था मैं गलती से उससे लड़ गयी और नीचे गिर गयी।
मुझे बहुत चोट लगी और दर्द भी हुआ। मैं सोचने लगी कि अगर मैंने माँ की बात मानी होती तो मुझे कष्ट न उठाना पड़ता। दुर्भाग्यवश उसी समय वहाँ से एक चिड़िया बेचने वाला जा रहा था। उसने मुझे उठा लिया और अपने घर ले गया। उसने मेरे औषधि लगायी और ठीक से देखभाल करी जिससे मैं स्वस्थ हो गयी।
एक दिन वह मुझे बाज़ार ले गया। वहां एक ग्राहक ने मुझे खरीद लिया। उसने घर लाकर मुझे इस पिंजरे में बंद कर दिया। आज तक मैं खुले आसमान में उड़ने और आजाद होने के लिए तरस रही हूँ।