Hindi, asked by shivamkumar3175, 10 months ago

Anushasan ka vidyarthi jeevan mein mahatva

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Answered by dishdhauma49
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विद्यार्थी के लिए जितनी पढ़ाई-लिखाई आवश्यक है उतना ही अनुशासन होना जरूरी है क्योंकि बिना अनुशासन के पढ़ाई की कल्पना नहीं की जा सकती है. Vidyarthi Jeevan Mein Anushasan Ka Mahatva Bhut Adhik hota hai.

विद्यार्थी एक खाली कागज़ की तरह होता है जिसमें कुछ भी लिखा जा सकता है. अगर विद्यार्थी को उस समय सही शिक्षा और उचित संगत नहीं मिलती है तो वह अपने लक्ष्य से भटक सकता है और गलत कार्य की राह पकड़ सकता है इसलिए विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की महत्वता और भी बढ़ जाती है.

विद्यार्थी की हमारे देश की भावी पीढ़ी है जो कि आगे जाकर हमारे देश का निर्माण करेगी. लेकिन विद्यार्थियों को अनुशासन में रहना नहीं पता होगा तो वे देश का निर्माण करने की वजह उसका नाश भी कर सकते है.

विद्यार्थी वर्ग देश की युवा शक्ति होता है अगर किसी देश की युवा शक्ति ही गलत रहा है और गलत संगत में हो तो उस देश का उद्धार होना संभव नहीं है.

Vidyarthi जीवन ही एक व्यक्ति के पूरे जीवन की आधारशिला होती है अगर यह आधारशिला ही कमजोर होगी तो आगे का भविष्य कठिनाइयों से भरा होगा और असफलता का मुंह भी देखना पड़ सकता है. यह जीवन की कड़वी सच्चाई है लेकिन आजकल लोग इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे है.....

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Answered by sharmapranay38
8

Answer:

अनुशासन सफलता की कुंजी है- यह किसी ने सही कहा है । अनुशासन मनुष्य के विकास के लिए बहुत आवश्यक है । यदि मनुष्य अनुशासन में जीवन-यापन करता है, तो वह स्वयं के लिए सुखद और उज्जवल भविष्य की राह निर्धारित करता है । मनुष्य द्वारा नियमों में रहकर नियमित रूप से अपने कार्य को करना अनुशासन कहा जाता है । यदि किसी के अंदर अनशासनहीनता होती है तो वह स्वयं के लिए कठिनाईयों की खाई खोद डालता है । विद्यार्थी हमारे देश का मुख्य आधार स्तंभ है । यदि इनमें अनुशासन की कमी होगी, तो हम सोच सकते हैं कि देश का भविष्य कैसा होगा ।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का बहुत महत्व होता है । अनुशासन के द्वारा ही वह स्वयं के लिए उज्जवल भविष्य की संभावना कर सकता है । यदि उसके जीवन में अनुशासन नहीं होगा, तो वह जीवन की दौड़ में सबसे पिछड़ जाएगा । उसकी अनुशासन हीनता उसे असफल बना देगी । विद्यार्थी के लिए अनुशासन में रहना और अपने सभी कार्यो को व्यवस्थित रूप से करना बहुत आवश्यक है । यह वह मार्ग है जो उसे जीवन में सफलता प्राप्त करवाता है ।

विद्यार्थियों को बचपन से ही अनुशासन में रखना चाहिए । अनुशासन में रहने की सीख उसे अपने घर से ही प्राप्त होती है । विद्यार्थी को चाहिए कि विद्यालय में रहकर विद्यालय के बनाए सभी नियमों का पालन करे । अध्यापकों द्वारा पढाए जा रहे सभी पाठों का अध्ययन पूरे मन से करना चाहिए । अध्यापकों द्वारा घर के लिए दिए गए गृहकार्य को नियमित रूप से करना चाहिए । समय पर अपने सभी कार्य करने चाहिए।

विद्यार्थी को चाहिए कि प्रतिदिन प्रात:काल उठकर व्यायाम करे, अध्यापन करे, स्नान आदि करे और विद्यालय के लिए शीघ्र ही तैयार हो जाए । समय पर विद्यालय जाए । घर आकर समय पर भोजन करे, समय पर अध्यापन कार्य और खेलने भी जाए । रात्रि के भोजन के पश्चात समय पर सोना भी विद्यार्थी के लिए उत्तम रहता है । इस तरह का व्यवस्थित जीवन-शैली उसे तरोताजा रखती है और जीवन में स्वयं को सदृढ़ भी रखती है ।

यदि आँखें उठा कर देखा जाए तो अनुशासन हर रूप में विद्यमान है । सूर्य समय पर उगता और समय पर अस्त हो जाता है । जीव-जन्तु भी इसी अनुशासन का पालन करते हुए दिखाई देते हैं । पेड-पौधों में भी यही अनुशासन व्याप्त रहता है । घड़ी की सुई भी अनुशासन का पालन करते हुए चलती है । ये सब हमें अनुशासन की ही शिक्षा देते हैं ।

यदि दृष्टि डाली जाए तो समाज में चारों तरफ अनुशासनहीनता दिखाई देती है । यही कारण है कि देश की प्रगति और विकास सही प्रकार से हो नहीं पा रहा है । यदि विद्यार्थियों में अनुशासन नहीं होगा तो समाज की दशा बिगड़ेगी और यदि समाज की दशा बिगड़ेगी तो देश कैसे उससे अछुता रहेगा ।

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