anusuchit janjati 100 words answer
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आदिवासी देश की कुल आबादी का 8.14% हैं,और देश के क्षेत्रफल के करीब 15% भाग पर निवास करते हैं। यह वास्तविकता है कि आदिवासी लोगों पर विशेष ध्यान की जरूरत है, जिसे उनके निम्न सामाजिक, आर्थिक और भागीदारी संकेतकों में किया जा सकता है। चाहे वह मातृ और बाल मृत्यु दर हो, या कृषि सम्पदा या पेय जल और बिजली तक पहुंच हो, आदिवासी समुदाय आम आबादी से बहुत पिछड़े हुए हैं। आदिवासी आबादी का 52% गरीबी की रेखा के नीचे है और चौंका देने वाली बात यह है कि 54% आदिवासियों की आर्थिक सम्पदा जैसे संचार और परिवहन तक कोई पहुंच ही नहीं है।
भारत का संविधान अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित नहीं करता है, इसलिए अनुच्छेद 366(25) अनुसूचित जनजातियों का संदर्भ उन समुदायों के रूप में करता है जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ वे आदिवासी या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासियों और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा इस प्रकार घोषित किया गया है। अनुसूचित जनजातियाँ देश भर में, मुख्यतया वनों और पहाड़ी इलाकों में फैली हुई हैं।
इन समुदायों की मुख्य विशेषताएं हैं:
आदिम लक्षण
भौगोलिक अलगाव
विशिष्ट संस्कृति
बाहरी समुदाय के साथ संपर्क करने में संकोच
आर्थिक रूप से पिछडापन
पिछली जनगणना के आंकड़े दर्शाते हैं कि अनुसूचित जनजाति आबादियों का 42.02% मुख्य रूप से कामगार थे जिनमें से 54.50 प्रतिशत किसान और 32.69 प्रतिशत कृषि श्रमिक थे। इस तरह, इन समुदायों में से करीब 87% कामगार प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधियों में लगे थे। अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर लगभग 29.60 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 52 प्रतिशत है। अनुसूचित जनजातियों की तीन-चौथाई से अधिक महिलाऐं अशिक्षित हैं। ये असमानताएं औपचारिक शिक्षा में पढ़ाई छोड़ देने की उच्च दरों से और बढ़ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उच्च शिक्षा में असंगत रूप से कम प्रतिनिधित्व है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इसका कुल प्रभाव यह है कि गरीबी की रेखा से नीचे की अनुसूचित जनजातियों का अनुपात राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर है। वर्ष 1993-94 के लिए योजना आयोग द्वारा किया गया गरीबी का अनुमान दर्शाता है कि 51.92 प्रतिशत ग्रामीण और 41.4 प्रतिशत शहरी अनुसूचित जनजातियाँ अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही हैं।
आदिवासी देश की कुल आबादी का 8.14% हैं,और देश के क्षेत्रफल के करीब 15% भाग पर निवास करते हैं। यह वास्तविकता है कि आदिवासी लोगों पर विशेष ध्यान की जरूरत है, जिसे उनके निम्न सामाजिक, आर्थिक और भागीदारी संकेतकों में किया जा सकता है। चाहे वह मातृ और बाल मृत्यु दर हो, या कृषि सम्पदा या पेय जल और बिजली तक पहुंच हो, आदिवासी समुदाय आम आबादी से बहुत पिछड़े हुए हैं। आदिवासी आबादी का 52% गरीबी की रेखा के नीचे है और चौंका देने वाली बात यह है कि 54% आदिवासियों की आर्थिक सम्पदा जैसे संचार और परिवहन तक कोई पहुंच ही नहीं है।
भारत का संविधान अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित नहीं करता है, इसलिए अनुच्छेद 366(25) अनुसूचित जनजातियों का संदर्भ उन समुदायों के रूप में करता है जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार अनुसूचित किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ वे आदिवासी या आदिवासी समुदाय या इन आदिवासियों और आदिवासी समुदायों का भाग या उनके समूह हैं जिन्हें राष्ट्रपति द्वारा एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा इस प्रकार घोषित किया गया है। अनुसूचित जनजातियाँ देश भर में, मुख्यतया वनों और पहाड़ी इलाकों में फैली हुई हैं।
इन समुदायों की मुख्य विशेषताएं हैं:
आदिम लक्षण
भौगोलिक अलगाव
विशिष्ट संस्कृति
बाहरी समुदाय के साथ संपर्क करने में संकोच
आर्थिक रूप से पिछडापन
पिछली जनगणना के आंकड़े दर्शाते हैं कि अनुसूचित जनजाति आबादियों का 42.02% मुख्य रूप से कामगार थे जिनमें से 54.50 प्रतिशत किसान और 32.69 प्रतिशत कृषि श्रमिक थे। इस तरह, इन समुदायों में से करीब 87% कामगार प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधियों में लगे थे। अनुसूचित जनजातियों की साक्षरता दर लगभग 29.60 प्रतिशत है, जबकि राष्ट्रीय औसत 52 प्रतिशत है। अनुसूचित जनजातियों की तीन-चौथाई से अधिक महिलाऐं अशिक्षित हैं। ये असमानताएं औपचारिक शिक्षा में पढ़ाई छोड़ देने की उच्च दरों से और बढ़ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उच्च शिक्षा में असंगत रूप से कम प्रतिनिधित्व है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इसका कुल प्रभाव यह है कि गरीबी की रेखा से नीचे की अनुसूचित जनजातियों का अनुपात राष्ट्रीय औसत से काफी ऊपर है। वर्ष 1993-94 के लिए योजना आयोग द्वारा किया गया गरीबी का अनुमान दर्शाता है कि 51.92 प्रतिशत ग्रामीण और 41.4 प्रतिशत शहरी अनुसूचित जनजातियाँ अभी भी गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही हैं।