Any 10 easy Examples of yamak alankar
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कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।।
इस पद्य में ‘कनक’ शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। प्रथम कनक का अर्थ ‘सोना’ और दुसरे कनक का अर्थ ‘धतूरा’ है। अतः ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।
माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।
ऊपर दिए गए पद्य में ‘मनका’ शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है। पहली बार ‘मनका’ का आशय माला के मोती से है और दूसरी बार ‘मनका’ से आशय है मन की भावनाओ से।
अतः ‘मनका’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।
कहै कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी
जैसा की आप देख सकते हैं की ऊपर दिए गए वाक्य में ‘बेनी’ शब्द दो बार आया है। दोनों बार इस शब्द का अर्थ अलग है।
पहली बार ‘बेनी’ शब्द कवि की तरफ संकेत कर रहा है। दूसरी बार ‘बेनी’ शब्द चोटी के बारे में बता रहा है। अतः उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार है।
काली घटा का घमंड घटा।
ऊपर दिए गए वाक्य में आप देख सकते हैं की‘घटा’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। पहली बार ‘घटा’ शब्द का प्रयोग बादलों के काले रंग की और संकेत कर रहा है।
दूसरी बार ‘घटा’ शब्द बादलों के कम होने का वर्णन कर रहा है। अतः ‘घटा’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।
तीन बेर खाती थी वह तीन बेर खाती है।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं ‘बेर’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। पहली बार तीन ‘बेर’ दिन में तीन बार खाने की तरफ संकेत कर रहा है तथा दूसरी बार तीन‘बेर’ का मतलब है तीन फल।
अतः ‘बेर’ शब्द का दो बार प्रयोग और भिन्नार्थ के कारण उक्त पंक्तियों में यमक अलंकार की छटा दिखती है।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी।
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है।।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं यहां ऊँचे घोर मंदर शब्दों की दो बार आवृति की जा रही है। यहाँ दो बार आवृति होने पर दोनों बार अर्थ भिन्न व्यक्त हो रहा है। हम जानते हैं की जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।
किसी सोच में हो विभोर साँसें कुछ ठंडी खिंची। फिर झट गुलकर दिया दिया को दोनों आँखें मिंची।।
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां दिया शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति हो रही है। पहली बार ये शब्द हमें दिए को बुझा देने की क्रिया का बोध करा रहा है। दूसरी बार यह शब्द दिया संज्ञा का बोध करा रहा है।यहाँ दो बार आवृति होने पर दोनों बार अर्थ भिन्न व्यक्त हो रहा है। हम जानते हैं की जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर।।
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरण में देख सकते हैं, यहां मन का शब्द की एक से अधिक बार आवृति हो रही है। पहली बार ये शब्द हमेंहमारे मन के बारे में बता रहे हैं और दूसरी बार इस शब्द की आवृति से हमें माला के दाने का बोध हो रहा है। हम जानते हैं की जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
अतः यह उदाहरण यमक अलंकार के अंतर्गत आएगा।
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब उसे यमक अलंकार कहते है।
उदहारण:-
” कनक कनक ते सौ गुनी , मादकता अधिकाय।
या खाए बौराय जग , या पाए बौराय।।
इसमें कनक शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है और दोनों बार उसके अर्थ अलग अलग है
एक ‘ कनक ‘ का अर्थ है ‘ स्वर्ण ‘ और दूसरे का अर्थ है ‘ धतूरा ‘
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१. पच्छी परछीने ऐसे परे पर छीने बीर|
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के|
२. काली घटा का घमंड घटा|
३. कहे कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी|
४. कनक कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकाय|
वा खाए बौराए जग या पाए बौराये|| (EXPLAINED ABOVE)
५. माला फेरत जुग भया, फिरा न मन फेर|
कर का मनका डारि दै, मन का मनका फेर||
६. तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं||
७. वहै शब्द पुनि - पुनि परै, अर्थ भिन्न ही भिन्न|
८. गुनी गुनी सब के कहे, निगुनी गुनी न होत|
सुन्यौ कहूँ तरु अरक तें, अरक समानु उदोत||
९. ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी|
ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती है||
१०. भर गया जी हनीफ़ जी जी कर, थक गए दिल के चाक सी सी कर|
यों जिये जिस तरह उगे सब्ज़, रेग जारों में ओस पी पी कर||