Hindi, asked by Yeduvpz1276, 2 months ago

Apni kisi Yatra ke khatte meethe nivedan ko likhiye

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Answered by insannoobda
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पिछले वर्ष में अपने विद्यालय की ओर से जयपुर घूमने गया। हम पचास

बच्चे थे व पाँच अध्यापिकाएँ हमारे साथ थीं। बड़ी खुशी खुशी हमारी बस शाम को पाँच बजे जयपुर के लिए रवाना हुई। हमें कहा गया कि सुबह पाँच •बजे तक हम लीग जयपुर पहुँच जाएँगे। जैसे ही बस चली ऐसा लगा कि जैसे मनचाही मुराद पूरी होने जा रही हो। हमने खूब खेल खेलने व नाच गाना शुरू कर दिया। अध्यापिकाएँ भी बड़े आनंद भाव से हमारा साथ दें रही थीं। हमने नौ बजे अपने-अपने खाने के डिब्बे खोले और मजे से सब अपने मनपसंद भोजन का आनंद लेने लगे। फिर अध्यापिकाओं ने कहा कि हमें थोड़ी देर आराम करना चाहिए लेकिन हमें चैन, कहाँ हमने फिर अंताक्षरी खेलनी प्रारंभ कर दी। रात के दो बज गए लेकिन किसी की आँखों में नींद न थी। लगभग तीन बजे के करीब एकदम सुनसान जंगल में भरतपुर के पास अचानक हमारी बस का टायर पंचर हो गया। न चाहते हुए भी बस रोकनी पड़ी। हम सब डर गए थे। अचानक दो लुटेरे बस मै चढ़ आए उन्होंने हम सबसे नगदी बटोर ली हम व हमारी अध्यापिकाएँ सभी डर गए। टायर के ठीक होते ही हम सोच में पड़ गए कि क्या करें? वापिस घरों की ओर जाएँ या जयपुर। तभी हमारी अध्यापिका ने प्रधानाचार्य को फोन किया तो उन्होंने कहा कि बच्चों का उत्साह बनाए रखो और सीधा जयपुर गोल्डन होटल में ही जाकर ठहरो शाम तक वे स्वयं वहाँ आ रही हैं। उन्होंने शाम की वहाँ पहुँचकर जैसे सबके चेहरों को मुस्कुराहट दे दी और अगले दिन सुबह से लगातार तीन दिन तक हमें घुमाती रहीं और जिस बच्चे ने जो भी पसंद किया उन्होंने इसे लेकर दिया। हम लुटेरों की बात भूल भी गए और जयपुर का मजा लेन लगे।

Answered by supriya6646
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