असहयोग आंदोलन के अंतर्गत ब्रिटिश सरकार को किस तरह का विरोध किया गया तथा गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को क्यों वापस लिया?
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असहयोग आंदोलन के तहत जनता ने ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के लिए सरकारी उपाधियों को छोड़ना प्रारंभ किया। विधानसभाओं, न्यायालयों तथा सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं के बहिष्कार करना आरंभ किया। विदेशी वस्तुओं का परित्याग कर दिया और उसका बहिष्कार करना आरंभ कर दिया। इसके साथ-साथ ही जनता ने अपने आप को अनुशासन में रखा तथा राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की अपने आपस के झगड़े पंचो के द्वारा सुलझाने शुरू किए। स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करना आरंभ किया तथा विदेशी कपड़ों की जगह हाथ से कते और बने कपड़ों का अधिक उपयोग करना आरंभ किया।
गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को इसलिए वापस ले लिया था क्योंकि 5 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चोरा-चोरी नामक गांव में एक शांतिपूर्ण जुलूस पर पुलिस ने जुल्म शुरू कर दिया जिससे आक्रोशित भीड़ ने पुलिस चौकी में आग लगा ली और उस पुलिस चौकी के अंदर सिपाही जलकर मारे गए आंदोलन के हिंसात्मक आंदोलन में बदल जाने के कारण गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।