अशफ़ाक अपने पत्र में देशवासियों को क्या संदेशा दे
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शाहजहांपुर : भारत माता को आजाद कराने के लिए फांसी के फंदे को चूमने वाले अमर शहीद अशफाक उल्ला खां अपनी मां को याद कर बेहद व्यथित थे। फांसी से नौ दिन पूर्व उन्होंने मां मजहूरन्निशां बेगम को खत लिखकर बिछुड़ने की मजबूरी बताते हुए समझाने की कोशिश की थी। तीन दिन पूर्व शचींद्र नाथ बख्शी की बहन को अंग्रेजी में पत्र लिखकर लखनऊ स्टेशन पर अपने शव के अंतिम दर्शन के लिए बुलाया था। जेल में डायरी लिखकर उन्होंने देशवासियों को यह बताने की कोशिश कि वह होशोहवाश में देश की आजादी के लिए उतरे हैं। काकोरी कांड के बाद जेल से लिखे खत, उनके स्कूल के हाजिरी रजिस्टर समेत जीवन से जुड़ी तमाम यादें परिवारीजनों के साथ जनपदवासियों का गौरव बढ़ा रही है।
शाहजहांपुर जनपद के जलालनगर मुहल्ला निवासी मोहम्मद शफीक उल्ला खां तथा मजहुरन्निशां के चार औलाद में सबसे छोटे अशफाक उल्लां खां ने 25 साल की उम्र में राम प्रसाद बिस्मिल समेत साथियों के साथ काकोरी स्टेशन के पास ब्रिटिश सरकार का खजाना लूटकर अंग्रेजों की नींद उड़ा दी। 27 साल की उम्र में अशफाक उल्ला खां देश के लिए बलिदान हो गए। सजा होने पर फैजाबाद जेल में उन्होंने फांसी के फंदे को चूम कर गले में डाल लिया। उनकी 119वीं जयंती पर शाहजहांपुर समेत पूरा देश गौरवान्वित है।