Hindi, asked by gunshishkour, 9 months ago

' अतिथि सदैव देवता नहीं होता , मानव और थोड़े अंशों मैं राक्षस भी हो सकता है। पाठ में आए इस कथन की व्याख्या कीजिए' ।

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Answered by Anonymous
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एक कहावत है, “अतिथि देवो भव”। इसका मतलब होता है कि अतिथि देवता के समान होता है। लेकिन जब लेखक के अतिथि ने तीसरे दिन कपड़े धुलवाने के बहाने यह इशारा कर दिया कि वह अभी और दिन रुकेगा तो लेखक की समझ में आया कि अतिथि हमेशा देवता नहीं होता। लेखक को लगने लगा कि अतिथि एक मानव होता है जिसमें राक्षस की प्रवृत्ति भी दिखाई देती है। इसी राक्षसी प्रवृत्ति के कारण अतिथि लंबे समय तक टिक जाता है और अलग-अलग तरीकों से मेजबान को दुखी करता रहता है।

Answered by ANIKET0547
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एक कहावत है, “अतिथि देवो भव”। इसका मतलब होता है कि अतिथि देवता के समान होता है। लेकिन जब लेखक के अतिथि ने तीसरे दिन कपड़े धुलवाने के बहाने यह इशारा कर दिया कि वह अभी और दिन रुकेगा तो लेखक की समझ में आया कि अतिथि हमेशा देवता नहीं होता। लेखक को लगने लगा कि अतिथि एक मानव होता है जिसमें राक्षस की प्रवृत्ति भी दिखाई देती है। इसी राक्षसी प्रवृत्ति के कारण अतिथि लंबे समय तक टिक जाता है और अलग-अलग तरीकों से मेजबान को दुखी करता रहता है।

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