अथिति देवो भवपे अनुचेद
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अतिथि अपनी चरण रज के साथ जब प्रवेश करते हैं और घर का आतिथ्य ग्रहण करते हैं तो अपना समस्त पुण्य घर में छोड़ जाते हैं। अत: अतिथि का सदैव यशाशक्ति सम्मान करना चाहिए। मात्र एक ग्लास शीतल जल भी अगर आप मुस्कुरा कर देते हैं तो राहुजनित समस्त दोष दूर हो जाते हैं। अगर आप अतिथि को मीठा देते हैं तो मंगल संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। जब आप अतिथि को वस्त्र आदि भेंट में देते हैं तो गुरु एवं शुक्र संबंधी दोष समाप्त हो जाते हैं। जब आप अतिथि को सुंदर स्वच्छ शैया सोने के लिए देते हैं तो आपके शनि संबंधी दोष दूर हो जाते हैं।
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