India Languages, asked by notiyashu3096, 11 months ago

अधोलिखितस्य पद्यांशस्य हिन्दीभाषायाम् अनुवादं करोतु आततायिनम् आयान्तं हन्यादेवाविचारयन्।
नाततायि-वधे दोषो हन्तुर्भवति कश्चन।।
अथवा
अहिंसा परमो धर्मस्तथाऽहिंसा परं तपः।
अहिंसा परमं सत्यं यतो धर्मः प्रवर्तते।

Answers

Answered by coolthakursaini36
3

रूप ................................................ रेखा |

अहिंसा .......................................... प्रवर्तते |

प्रसंग-> प्रस्तुत श्लोक हमारी संस्कृत की पाठ्य पुस्तक ................ के पाठ ......... से लिया गया है| प्रस्तुत श्लोक में शेर द्वारा नंदनी गाय पर हमले का वर्णन है|

व्याख्या-> अहिंसा परम धर्म है तथा अहिंसा महान तप है| अहिंसा परम सत्य है क्योंकि धर्म ग्रहण करता है|

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