Hindi, asked by tanmaybhere100, 1 year ago

बाबू जी का एक तरीका था, जो अपनेआप आकर्षित करता था। वेअगर सीधेसेकहते-सुनील, तुम्हें
खादी सेप्यार करना चाहिए, तो शायद वह बात कभी भी मेरेमन मेंघर नहीं करती पर बात कहनेकेसाथ-साथ
उनकेअपनेव्यक्तित्व का आकर्षण था, जो अपनेमेंसामनेवालेको बॉंध लेता था। वहस्वत:उनपर अपना सब
कुछ निछावर करनेपर उतारू हो जाता था।
अम्मा बताती हैं- हमारी शादी मेंचढ़ावेकेनाम पर सिर्फपॉंच ग्राम सोनेकेगहनेआए थे, लेकिन जब हम
विदा होकर रामनगर आए तो वहॉंउन्हेंमुँह दिखाई मेंगहने मिले। सभी नाते-रिश्तेवालों नेकुछ-न-कुछ दिया
था। जिन दिनों हम लोग बहादुरगंज केमकान मेंआए, उन्हीं दिनों तुम्हारेबाबू जी केचाचा जी को कोई घाटा
लगा था । किसी तरह सेबाकी का रुपया देनेकी जिम्मेदारी हमपर आ पड़ी-बात क्या थी, उसकी ठीक से
जानकारी लेनेकी जरूरत हमनेनहीं सोची और न ही इसकेबारेमेंकभी कुछ पूछताछ की।
एक दिन तुम्हारेबाबू जी नेदुनिया की मुसीबतों और मनुष्य की मजबूरियों को समझातेहुए जब हमसेगहनों
की माँग की तो क्षण भर के लिए हमेंकुछ वैसा लगा और गहना देनेमें तनिक हिचकिचाहट महसूस हुई ।

उत्तर लिखिए
बाबूजी नेयह समझातेहुए गहनों की मॉंग की :-
(क)__________________________________________
(ख)__________________________________________

Answers

Answered by aniketdipake60
1

Answer:

हे राम बाबूजी का तरिका था जो अपने आप आकर्षित करता था इस वाक्य का भेद

Answered by franktheruler
0

बाबूजी ने यह समझाते हुए गहनों की मॉंग की :-

(क) दुनिया की मुसीबतों

(ख) मनुष्य की मजबूरियों

  • लेखक के पिता का स्वभाव था सबकी मदद करना व मुसीबत में काम आना । जब लेखक का परिवार बहादुरगंज आया, तब उनके पिता के चाचाजी को घाटा हुआ , जिस कारण लेखक के पिताजी उनकी मदद करना चाहते थे, उन्होंने लेखक की माताजी से गहनों की मांग की।
  • पहले तो उनकी माताजी हिचकिचाई फिर उन्होंने लेखक के पिताजी से कहा कि मेरा असली गहना तो आप हो।
  • लेखक की माताजी को शादी में चढ़ावे के नाम पर पांच ग्राम सोना , नथनी, बिछिया मिला था।
  • उन्होंने नथनी व बिछिया रख लिया, बाकी सोना दे दिया।

#SPJ3

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