बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपत छाई
तट पर तरबूजों की खेती
अँगुली की कंघी से बगुले
कलंगी संवारते हैं कोई,
तिरते जल में सुरखाब, पुलिन पर
मगरौठी रहती सोई। ka arth
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kiuyrefvbjugdehiibgdhjkjgr
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Good poem
Explanation:
who is the poet please tell me the name
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