Hindi, asked by kunal4266, 10 months ago

. बाल मजदूरी एक सामाजिक समस्या

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Answered by pratyushmishra36
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किसी भी क्षेत्र में बच्चों द्वारा अपने बचपन में दी गई सेवा को बाल मजदूरी कहते है। इसे गैर-जिम्मेदार माता-पिता की वजह से, या कम लागत में निवेश पर अपने फायदे को बढ़ाने के लिये मालिकों द्वारा जबरजस्ती बनाए गए दबाव की वजह से जीवन जीने के लिये जरुरी संसाधनों की कमी के चलते ये बच्चों द्वारा स्वत: किया जाता है, इसका कारण मायने नहीं रखता क्योंकि सभी कारकों की वजह से बच्चे बिना बचपन के अपना जीवन जीने को मजबूर होते है। बचपन सभी के जीवन में विशेष और सबसे खुशी का पल होता है जिसमें बच्चे प्रकृति, प्रियजनों और अपने माता-पिता से जीवन जीने का तरीका सीखते है। सामाजिक, बौद्धिक, शारीरिक, और मानसिक सभी दृष्टीकोण से बाल मजदूरी बच्चों की वृद्धि और विकास में अवरोध का काम करता है।

बाल मजदूरी

बाल मजदूरी निबंध 2 (150 शब्द)

बाल मजदूरी बच्चों से लिया जाने वाला काम है जो किसी भी क्षेत्र में उनके मालिकों द्वारा करवाया जाता है। ये एक दबावपूर्णं व्यवहार है जो अभिवावक या मालिकों द्वारा किया जाता है। बचपन सभी बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है जो माता-पिता के प्यार और देख-रेख में सभी को मिलना चाहिए, ये गैरकानूनी कृत्य बच्चों को बड़ों की तरह जीने पर मजबूर करता है। इसके कारण बच्चों के जीवन में कई सारी जरुरी चीजों की कमी हो जाती है जैसे- उचित शारीरिक वृद्धि और विकास, दिमाग का अनुपयुक्त विकास, सामाजिक और बौद्धिक रुप से अस्वास्थ्यकर आदि।

इसकी वजह से बच्चे बचपन के प्यारे लम्हों से दूर हो जाते है, जो हर एक के जीवन का सबसे यादगार और खुशनुमा पल होता है। ये किसी बच्चे के नियमित स्कूल जाने की क्षमता को बाधित करता है जो इन्हें समाजिक रुप से देश का खतरनाक और नुकसान दायक नागरिक बनाता है। बाल मजदूरी को पूरी तरह से रोकने के लिये ढ़ेरों नियम-कानून बनाने के बावजूद भी ये गैर-कानूनी कृत्य दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है।


kunal4266: thanks
vibhadudile60: plz mark as brainliest
kunal4266: ok
Answered by vibhadudile60
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बाल मजदूरी एक ऐसा कड़वा सच है। जिस से भारत नहीं पूरी दुनिया ग्रस्त है । पूरे दुनिया के अनेक देशों में यह पाया जाती है यह बात अनेक सर्वेक्षण में पायी गई है।

कृषि में बाल मजदूरी सबसे ज्यादा देखी गयी है। कृषि के अलावा भी कारखानों,भट्टी में बाल मजदूरों के रुप में बच्चों को काम करते हुए देखा जा सकता है। जो स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत खतरनाक है। भारत का संविधान बच्चों को वो सभी हक़ देता है जो की एक आम नागरिक को हैं।

तो फिर क्यों वो बच्चे खेलना,पढ़ना, छोड़ कर काम करने को विवश हैं। जिन हाथों में कलम पकड़ना था, वो क्यों कुदाल पकड़े हैं। उनके आँखों में पनपते सपनो को तोड़ने का जिम्मेदार कौन है। हमें यह समझना होगा क्यूँकि बच्चे देश का भविष्य ही नहीं वर्तमान भी है।

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