बालिश्तिये ने जब यह देखा कि लकड़हारा आग सुलगाने के लिए भी और आलू ठंडा करने के लिए भी फेंक रहा था तो उसे बड़ी हैरानी हुई।
• क्या तुमने भी कभी सर्दी में अपने हाथों पर फैंक मारी है? कैसा लगता है?
• अपने हाथों को मुँह के पास लाकर जोर से दो-तीन बार फेंक मारो। मुँह से छोड़ी हुई फेंक की हवा
आस-पास की हवा के मुकाबले कैसी लगी?
• अगर हाथों को मुँह से थोड़ी दूरी पर रखो, तब भी क्या मुँह से निकली हुई हवा गर्म लगेगी? क्यों?
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बालिश्तिये ने जब यह देखा कि लकड़हारा आग सुलगाने के लिए भी और आलू ठंडा करने के लिए भी फेंक रहा था तो उसे बड़ी हैरानी हुई।
◉ क्या तुमने भी कभी सर्दी में अपने हाथों पर फैंक मारी है? कैसा लगता है?
▬ हाँ, हमने भी ऐसा किया है। कड़कदार जाड़ों में जब हमारे हाथ ठंड के कारण सुन्न हो जाते हैं और अकड़ जाते हैं तो हम अपने मुँह से हाथों पर फूंक मारते हैं, जिससे हमारे हाथों को गर्माहट मिलती है।
◉ अपने हाथों को मुँह के पास लाकर जोर से दो-तीन बार फेंक मारो। मुँह से छोड़ी हुई फेंक की हवा आस-पास की हवा के मुकाबले कैसी लगी?
▬ जब हमने अपने हाथों को मुंह के पास ले जाकर जोर से दो-तीन बार फूंक मारी तो हमें अपने मुँह से द्वारा छोड़ी गई हवा आसपास की हवा के मुकाबले गर्म लगी। यानि कि हमारे मुँह से फेंकी गई हवा में गर्माहट थी।
◉ अगर हाथों को मुँह से थोड़ी दूरी पर रखो, तब भी क्या मुँह से निकली हुई हवा गर्म लगेगी? क्यों?
▬ अब हमने अपने हाथों से मुँह से थोड़ा दूर ले जाकर मुंह से फूंक मारी तो मुझे निकाली गई हवा पहले की अपेक्षा थोड़ी कम गर्म थी। उसमें थोड़ा ठंडक महसूस हो रही थी। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मुंह से निकल कर हवा ने थोड़ा दूरी तय की और इस अवधि में उसके पास आसपास की हवा मिली गई।
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“उसी से ठंडा, उसी से गर्म”
(पर्यावरण अध्ययन – आस-पास) — कक्षा - 5, पाठ - 15)
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