बैलेट पेपर और विीएम (EVM) बीच अंतर
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1) पेपर पर बैलेट में वोट डालने वाले को नजर आता है कि उसने किस निशान पर मुहर लगाई. मुहर लगाने के बाद वह बैलेट पेपर को मोड़कर सभी उम्मीदवारों के प्रतिनिधि के सामने उसे बैलेट बॉक्स में डालता है.
ईवीएम में मतदाता को यह पता नहीं चल पाता कि उसने जिस निशान पर बटन दबाया है, वोट उसे ही गया है. इस कमी को पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन लगाई गई है, जिससे कागज की एक पर्ची निकलती है, जिसे मतदाता देख सकता है. ये पर्चियां जमा होती हैं. हालांकि कागज की पर्ची और मशीन में दर्ज वोट समान है, इसकी कोई गारंटी नहीं हो पाती है. इसलिए विवाद की स्थिति में इन पर्चियों को गिनने का प्रावधान है. अभी तक का अनुभव है कि कागज की पर्चियों की गिनती आम तौर पर नहीं होती है.
2) ईवीएम में डाला गया वोट डिजिटल फॉर्म में मशीन में जाकर एक संख्या या नंबर में तब्दील हो जाता है. इसलिए पेपर बैलेट की तरह हर वोट को दोबारा नहीं गिना जा सकता. दोबारा गिनने के नाम पर तमाम ईवीएम में दर्ज कुल संख्या को ही जोड़ा जा सकता है.
3) मतदान के लिए भेजी गई कोई ईवीएम खराब हो जाती है, तो उसे टेक्नीशियन ठीक करता है. लेकिन इसका मतलब यह भी है कि किसी मशीन को खराब भी किया जा सकता है. मुमकिन है कि ऐसा न होता हो, लेकिन इसकी आशंका को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता.
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