बालगोबिन भगत का मन तन पर पर हावी कैसे था? ( With reference to class 10 ch 12 hindi kshitij )
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उत्तर-
वे माघ के दिन थे लेखक को बालगोबिन का संगीत गांव के बाहर पोखर पर ले गया। वे अपने संगीत में बहुत मस्त थे। उनके माथे पर पसीने की बूंदें चमक रही थी लेकिन लेखक ठंड के मारे कांप रहा था गर्मियों में उमस भरी शाम को वे अपने गीतों से शीतल कर देते थे। उनके गीत लोगों के मन से होते हुए तन पर हावी हो जाते थे।
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जैसे-जैसे ताल और स्वर चढ़ता वैसे-वैसे श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते और धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता।
Explanation:
- गर्मियों की शाम मैं भगत अपने घर के आंगन में आसन जमाकर बैठते थे।
- कुछ ही देर में उनके गांव के उसके प्रेमी दिया जुटते थे।
- वे खंजड़ियों और कर्तरो को बजाते थे और जब एक भक्त एक पद बालगोविंद भक्त कहते तो वे उसे दो या तीन बार दोहराते थे।
- जब यह सब मिल बैठते तो धीरे-धीरे गाने का स्वर ऊंचा होने लगता एक निश्चित ताल और एक निश्चित गति के साथ।
- जैसे-जैसे ताल और स्वर चढ़ता वैसे-वैसे श्रोताओं के मन भी ऊपर उठने लगते और धीरे-धीरे मन तन पर हावी हो जाता।
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