बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन - सा सशक्त पहलू उभर कर आता है? क्या आपकी नजर में उनका आचरण समाज में शांति - स्थापित करने में मददगार हो सकता है?
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बाज़ार में भगत जी के व्यक्तित्व का सशक्त पहलू उनका अपने ऊपर का ‘मन पर नियंत्रण’ उभरकर आता है।
बाज़ार उन्हें कभी भी आकर्षित नहीं कर पाता वे केवल अपनी जरुरत भर सामान के लिए बाज़ार का उपयोग करते हैं। वह चौक-बाजार में आँखें खोलकर चलते हैं। बाजार की वस्तुएं उन्हें अपनी और आकर्षित नहीं कर पाती थी| उनका मन भरा हुआ होता है, अत: बाजार का जादू उन्हें बाँध नहीं पाता। उनका मन अनावश्यक वस्तुओं के लिए विद्रोह नहीं करता। उनकी जरूरत निश्चित है।
उन्हें जीरा व काला नमक खरीदना होता है। वह केवल पंसारी की दुकान पर रुककर अपना सामान खरीदते हैं। वह अपनी जरूरतों का सामान लेकर आते थे , उन्हें जीरा व काला नमक खरीदना होता था।ऐसे व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकते हैं क्योंकि इनकी जीवनचर्या संतुलित होती है। ऐसे व्यक्ति बाजार को सार्थकता प्रदान करते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज में शांति स्थापित करने में मददगार हो सकते हैं क्योंकि इनकी जीवनचर्या संतुलित होती है।
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बाजार में भगत जी के व्यक्तित्व का कौन सा सशक्त पहलू उभर कर आता है ? क्या आपकी नजर में उनका आचरण समाज में शांति स्थापित करने मददगार हो सकता है ?