Hindi, asked by vennelaboddeti9768, 11 months ago

बाज़ार दर्शन पाठ में बाज़ार जाने या ना जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का ज़िक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।
(क) मन खाली हो (ख) मन खाली न हो
(ग) मन बंद हो (घ) मन में नकार हो

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Answered by sai776555
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Answer:

good morning my name is the best regards to the day of school and the rest

Answered by bhatiamona
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बाज़ार दर्शन पाठ में बाज़ार जाने या ना जाने के संदर्भ में मन की कई स्थितियों का ज़िक्र आया है। आप इन स्थितियों से जुड़े अपने अनुभवों का वर्णन कीजिए।

(क) मन खाली हो (ख) मन खाली न हो

(ग) मन बंद हो (घ) मन में नकार हो

(क) मन खाली हो :जब मैं केवल यही घूमने की दृष्टि से बाज़ार जाती हूँ तो न चाहते हुए भी कई सारी महंगी चीजें घर ले आती हूँ। और बाद में पता चलता है कि इन वस्तुओं की वास्तविक कीमत तो बहुत कम है और मैं केवल उनके आकर्षण में फँसकर इन्हें खरीद कर लेती हूँ|

(ख) मन खाली न हो: एक बार मुझे बाज़ार से एक  साड़ी खरीदनी थी तो मैं सीधे साड़ी की दुकान पर पहुँची उस दुकान में अन्य कई तरह के परिधान मुझे आकर्षित कर रहें थे परन्तु मेरा विचार पक्का होने के कारण मैं सीधे साड़ी वाले काउंटर पर पहुँची और अपनी मनपसंद साड़ी खरीदकर बाहर आ गई।

(ग) मन बंद हो : कभी कभी जब मन बड़ा उदास होता है, तब बाज़ार की रंग-बिरंगी वस्तुएँ भी मुझे आकर्षित नहीं करती हैं मैं बिना कुछ लिए यूँहीं घर चली आती हूँ।

(घ) मन में नकार हो: एक बार मेरे दोस्तों  ने मुझे नकली वस्तुओं के बारे में कुछ इस तरह समझाया कि मेरे मन में वस्तुओं के प्रति एक प्रकार की नकारत्मकता आ गई मुझे बाज़ार की सभी वस्तुएँ में हमें कोई न कोई कमी दिखाई देने लगी।

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