बाज़ार दर्शन पाठ में किस प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है? आप स्वयं को किस श्रेणी का ग्राहक मानते / मानती हैं?
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बाज़ार दर्शन पाठ में निम्न प्रकार के ग्राहकों की बात हुई है:
- ऐसे ग्राहक जिनका मन खाली होता है।
- वे ग्राहक जिनका मन भरा होता है।
- वे ग्राहक जो यह जानते हैं कि उन्हें क्या चाहिए।
- ऐसे ग्राहक जो नहीं जानते कि उन्हें क्या चाहिए।
- ऐसे ग्राहक जिन पर बाजार के आकर्षण और सौंदर्य का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- मितव्ययी और संयमी ग्राहक।
- अपव्ययी और असंयमी ग्राहक।
- वे ग्राहक जो एक तो वस्तु खरीदने हेतु बाजार जाते हैं लेकिन जब लौटकर आते हैं तो अनेक बंडल साथ लेकर आते हैं।
मैं स्वयं को मितव्ययी और संयमी ग्राहक मानती हूं , जो बाज़ार की शान -ओ- शौकत से प्रभावित न हो कर आवश्यकता अनुसार खरीदारी करता करती हूं। फ़िज़ूल सामान कभी नहीं लेती हूं जिससे बाद में पछताना पड़े।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :
बाज़ार किसी का लिंग,जाति, धर्म या क्षेत्र नहीं देखता; वह देखता है सिर्फ क्रय शक्ति को। इस रूप में वह एक प्रकार से सामाजिक समता की भी रचना कर रहा है आप इससे कहां तक सहमत है
https://brainly.in/question/15411133
आप अपने तथा समाज से कुछ ऐसे प्रसंग का उल्लेख करें -
(क) जब पैसा शक्ति के परिचायक के रूप में प्रतीत हुआ।
(ख) जब पैसे की शक्ति काम नहीं आई।
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