बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले' यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?
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बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले' यह भाव कविता ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ का भाव कविता की निम्न पंक्ति में व्यक्त हुआ है|
क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?
जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,
इन पंक्तियों में 'बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले' का भाव झलकता है।
इस पंक्ति का अर्थ है, जो समय बीत चुका है उसकी याद किए बिना आगे आने वाले समय को सँवारने का प्रयास करना चाहिए। हमारे जीवन में जो भी कुछ हो चूका है , हमें उसे याद नहीं करना चाहिए |
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