Hindi, asked by annu3546, 11 months ago

भाव स्पष्ट कीजिए -
प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।

Answers

Answered by shivu2099
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Answer:

इन पंक्तियों द्वारा कवि गिरिजा कुमार माथुर जी ने यह बताया है कि मनुष्य आजीवन मान-सम्मान, धन-दौलत और प्रसिद्धि आदि पाने के लिए परेशान रहता है। जब सत्य यह है कि ये सब केवल भ्रम है। जिस प्रकार मृग रेगिस्तान में पानी की आस में सूर्य की किरणों की चमक को जल मानकर उसके पीछे भटकता रहता है, ठीक उसी प्रकार मनुष्य भी अपने मान सम्मान को प्राप्त करने के लिए मृगतृष्णा के समान के लिए हमेशा दौड़ता ही रहता है। कवि का मानना है कि हर चमकती चीज के पीछे अन्धकार होता है। मनुष्य को इस यथार्थ को स्वीकार कर लेना चाहिए कि जिस प्रकार चाँदनी रात के बाद काली रात का अस्तित्व होता है, ठीक उसी प्रकार सुख का समय बीत जाने पर दुखों का सामना करना पड़ेगा।

Answered by Braɪnlyємρєяσя
15

: Required Answer

 \implies भाव यह है कि प्रभुता का शरणबिंब अर्थात् ‘बड़प्पन का अहसास’ एक छलावा था भ्रम मात्र है जो मृग मारीचिका के समान है। जिस प्रकार हिरन रेगिस्तान की रेत की चमक को पानी समझकर उसके पास भागकर जाता है, परंतु पानी न पाकर निराश होता है। इसी बीच वह अन्यत्र ऐसी ही चमक को पानी समझकर भागता-फिरता है। इसी प्रकार मनुष्य के लिए यह ‘बड़प्पन का भाव’ एक छल बनकर रह जाता है। मनुष्य को याद रखना चाहिए कि चाँदनी रात के पीछे अमावस्या अर्थात् सुख के पीछे दुख छिपा रहता है। मनुष्य को सुख-दुख दोनों को अपनाने के लिए तत्पर रहना चाहिए।

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