Hindi, asked by gudd11october, 1 year ago

बादल की आत्मकथा पर निबंधलिखो

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Answered by shishir303
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                                              (निबंध)

                             बादल की आत्मकथा

मैं बादल हूं। मैं पानी से बनता हूं, मेरा जन्म पानी के छोटे-छोटे कणों से मिलकर होता है। पानी के छोटे-छोटे अणु जब मेरे अंदर जब समाहित हो जाते हैं, तब मैं बादल का रूप ले लेता हूं। मैं आकाश में निरंतर उड़ता रहता हूं। मैं मीलों लंबा सफर करता हूं। मैं एक छोर से दूसरे छोर तक विचरण करता रहता हूं। लोग मुझे देखकर खुश हो जाते हैं, क्योंकि मेरे अंदर पानी है और मैं उन पर पानी बरसाऊंगा तो उन्हें पानी मिलेगा क्योंकि जीवन के लिए पानी बहुत जरूरी है।

मेरा प्रिय मौसम और मेरा कर्मसमय बरसात का मौसम है। यह मेरा कार्य समय है। प्रकृति ने मेरे लिए कुछ कर्तव्य निर्धारित किए हैं और उनका समय भी निश्चित किया है। मैं बरसात के मौसम में अपने कर्तव्य का निर्वाह बड़ी तन्मयता से करता हूं। मैं समुद्र आदि से उठने वाले जल की वाष्प तथा अन्य जल स्रोतों से उठने वाली वाष्प को जल के कणों के रूप में अपने अंदर जमा करता रहता हूँ। फिर पर्याप्त जल कणों को समेटकर अपना आकार बनाता हूं। फिर जब मेरे अंदर पर्याप्त जल के कण समाहित हो जाते हैं, तो फिर मैं अपनी यात्रा पर निकल पड़ता हूं।

मैं जगह-जगह बारिश करता हुआ जाता हूं। मीलों लंबा सफर करके पहाड़ों तक भी पहुंच जाता हूं। जहां-जहां मैं बारिश करता हुआ जाता हूं, वहां वहां हरियाली आती जाती है। किसान भाई तो मुझे देखकर ही खुश हो जाते हैं और उनके चेहेर पर आशाओं का संचार हो जाता है। क्योंकि जब मैं उनके खेत में बारिश करूंगा तभी उनके खेत फसल लहलहायेगी। वह तो मेरी प्रतीक्षा में आस लगाए बैठे रहते हैं।

जब मेरा प्रिय मौसम यानि बरसात का मौसम होता है, तो मुझे देखकर वन में मोर नाचने लगते हैं। चारों तरफ उल्लास वातावरण हो जाता है। लोग मंगल गीत गाते हैं। पेड़ों पर झूले पड़ जाते हैं। छोटे-छोटे बच्चे मुझे देख कर खुशी से उछलने लगते हैं, और जब मैं मंद मंद बारिश करता हूं तो वह बारिश के पानी में छपाके मारते हुए उछल-कूद मचाते हैं। कागज की नाव बनाकर चलाते हैं। ये सब देखकर मैं बड़ा खुश हो जाता हूं।

मैं गर्मी का बड़ा दुश्मन हूं। जब गर्मी अपने पूरे शबाब पर होती है, तब लोग मेरी प्रतीक्षा बड़े जतन से करते हैं। क्योंकि भीषण गर्मी से महीने राहत पहुंचाता हूं। गर्मी मुझे देखकर घबरा कर भाग जाती है।

मैं जीवंतता का भी प्रतीक हूं। क्योंकि मैं जीवनदायी पानी का स्रोत हूँ। मैं सृष्टि के चक्र में अपना पूरा योगदान देता हूं, क्योंकि मैं सब जगह पानी पहुंचाता हूं। पानी के बिना इस जगत में जीवन संभव नहीं है। मीलों दूर सब जगह पानी पहुंचाना मेरा ही कार्य है। ये मेरा कर्तव्य है। वर्षा ऋतु मेरी पुत्री है, क्योंकि मैं ही उसे जन्म देता हूँ।

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