Hindi, asked by jokerking22, 5 months ago

बाढ़ से निपटने के लिए कुछ ठोस उपायों को बताए जिससे नुकसान कम किया जा सकता है​

Answers

Answered by Anonymous
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Answer:

गैर-संरचनागत उपाय, जैसे कि आश्रय गृहों का निर्माण, सार्वजनिक उपयोग की जगहों को बाढ़ सुरक्षित बनाना, अंतर्राज्यीय नदी बेसिन का प्रबंधन, बाढ़ के मैदानों का क्षेत्रीकरण इत्यादि। बाढ़ की प्रकृति के अनुसार आपदा-मोचन बल को प्रशिक्षित करना तथा आवश्यकता पड़ने पर तुरंत तैनात करना। ,

Answered by shikha6096
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Explanation:

बाढ़ क्या है?

नदी का जल उफान के समय जल वाहिकाओं को तोड़ता हुआ मानव बस्तियों और आस-पास की ज़मीन पर पहुँच जाता है और बाढ़ की स्थिति पैदा कर देता है। दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में बाढ़ आने के कारण जाने-पहचाने हैं। बाढ़ आमतौर पर अचानक नहीं आती, साथ ही यह और कुछ विशेष क्षेत्रों और वर्षा ऋतु में ही आती है। बाढ़ तब आती है जब नदी जल-वाहिकाओं में इनकी क्षमता से अधिक जल बहाव होता है और जल, बाढ़ के रूप में मैदान के निचले हिस्सों में भर जाता है। कई बार तो झीलें और आंतरिक जल क्षेत्रों में भी क्षमता से अधिक जल भर जाता है। बाढ़ आने के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे- तटीय क्षेत्रों में आने वाला तूफान, लंबे समय तक होने वाली तेज़ बारिश, हिम का पिघलना, ज़मीन की जल अवशोषण क्षमता में कमी आना और अधिक मृदा अपरदन के कारण नदी जल में जलोढ़ की मात्रा में वृद्धि होना।

दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में बाढ़ की उत्पत्ति और इसके क्षेत्रीय फैलाव में मानव गतिविधियाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। मानवीय क्रियाकलापों, अंधाधुंध वन कटाव, अवैज्ञानिक कृषि पद्धतियाँ, प्राकृतिक अपवाह तंत्रों का अवरुद्ध होना तथा नदी तल और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मानव बसाव की वजह से बाढ़ की तीव्रता, परिमाण और विध्वंसता बढ़ जाती है।

राज्य स्तर पर बाढ़ नियंत्रण एवं शमन के लिये प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करना तथा स्थानीय स्तर पर लोगों को बाढ़ के समय किये जाने वाले उपायों के बारे में प्रशिक्षित करना।

संरचनात्मक उपाय जैसे कि तटबंध, कटाव रोकने के उपाय, जल निकास तंत्र का सुदृढ़ीकरण, तटीय सुरक्षा के लिये दीवार जैसे उपाय जो कि उस खास भू-आकृतिक क्षेत्र के लिये सर्वश्रेष्ठ हों।

गैर-संरचनागत उपाय, जैसे कि आश्रय गृहों का निर्माण, सार्वजनिक उपयोग की जगहों को बाढ़ सुरक्षित बनाना, अंतर्राज्यीय नदी बेसिन का प्रबंधन, बाढ़ के मैदानों का क्षेत्रीकरण इत्यादि।

बाढ़ की प्रकृति के अनुसार आपदा-मोचन बल को प्रशिक्षित करना तथा आवश्यकता पड़ने पर तुरंत तैनात करना।

विनिर्माण में संरचना के प्रारूप, स्थान, सामग्री और अनुमेय क्षति (Permissible Damage) के प्रकार एवं आकार के विषय में उचित निर्णय लेना महत्त्वपूर्ण है ताकि प्रकृति को कम-से-कम नुकसान पहुँचे।

बांध प्रबंधन और समय पर लोगों को सचेत किये जाने में पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिये।

पुनर्वनीकरण, जल निकास तंत्र में सुधार, वाटर-शेड प्रबंधन, मृदा संरक्षण जैसे उपाय।

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