Hindi, asked by mdakhterakhteroweypz, 1 year ago

babu jagat singh ka patr parichay

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Answered by Om123456789
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बाबू जगजीवन राम के जीवन के कई पहलू हैं। उनमें से ही एक है भारत में ससदीय लोकतत्र के विकास में उनका अमूल्य योगदान। 28 साल की उम्र में ही 1936 में उन्हें बिहार विधान परिषद् का सदस्य नामांकित कर दिया गया था। जब गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 के तहत 1937 में चुनाव हुए तो बाबूजी डिप्रेस्ड क्लास लीग के उम्मीदवार के रूप में निर्विरोध एमएलए चुने गए। अंग्रेज बिहार में अपनी पिट्ठू सरकार बनाने के प्रयास में थे। उनकी कोशिश थी कि जगजीवन राम को लालच देकर अपने साथ मिला लिया जाए। उन्हे मत्री पद और पैसे का लालच दिया गया, लेकिन जगजीवन राम ने अंग्रेजों का साथ देने से साफ इनकार कर दिया। उसके बाद ही बिहार में काग्रेस की सरकार बनी, जिसमें वह मत्री बने। साल भर के अंदर ही अंग्रेजों के गैरजिम्मेदार रुख के कारण महात्मा गांधी की सलाह पर काग्रेस सरकारों ने इस्तीफा दे दिया। बाबूजी इस काम में सबसे आगे थे। पद का लालच उन्हें छू तक नहीं गया था। बाद में वह महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में जेल गए। जब मुंबई में 9 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की तो जगजीवन राम वहीं थे। तय योजना के अनुसार उन्हें बिहार में आंदोलन को तेज करना था, लेकिन दस दिन बाद ही उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया।
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