bachendri pal ki everest yatra ki safalta ka varnan kijiye in hindi
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बछेंद्री पाल की सफलता दुनिया भर की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। महज 12 साल की उम्र में ही उन्होंने पर्वतारोहण कर लिया था। उत्तराखंड के एक गरीब परिवार में जन्मी बछेंद्री पाल ने जब पर्वतारोही बनने का फैसला लिया तो उनके परिजनों ने इसका जमकर विरोध किया। तमाम विरोधों को दरकिनार करते हुए बछेंद्री अपने फैसले पर अडिग रही।
इस दौरान उनके जीवन में अनेकों मुसीबतें आई, परंतु चट्टान की भांति इनका सामना करते हुए बछेंद्री ने अपनी पर्वतारोहण की ट्रेनिंग जारी रखी।
आखिरकार 23 मई 1984 को उन्होंने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर झंडा फहराकर न केवल भारत का नाम रोशन किया बल्कि पूरे विश्व की महिलाओं के लिए साहस का एक उदाहरण स्थापित कर दिया।
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hmmm seems nice
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too long answer
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