bade bhai sahab aur lekhak ke vichar Shiksha ko Lekar bhinn Kyon the
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हम लेखक के विचारों से सहमत हैं क्योंकि इस रटंत विद्या और दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली के कारण बालकों का स्वाभाविक विकास नहीं हो पाता अपितु उनका व्यक्तित्व दोषपूर्ण हो जाता है । बड़े भाई की डाँट फटकार के बिना छोटे भाई का कक्षा में अव्वल आना बहुत मुश्किल था क्योंकि छोटा भाई मेधावी तो था परंतु अध्ययनशील नहीं था ।
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हम लेखक के विचारों से सहमत हैं क्योंकि इस रटंत विद्या और दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली के कारण बालकों का स्वाभाविक विकास नहीं हो पाता अपितु उनका व्यक्तित्व दोषपूर्ण हो जाता है । बड़े भाई की डाँट फटकार के बिना छोटे भाई का कक्षा में अव्वल आना बहुत मुश्किल था क्योंकि छोटा भाई मेधावी तो था परंतु अध्ययनशील नहीं था ।
बड़े भाईसाहब’ पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा प्रणाली पर व्यंग्य किया है उनके अनुसार वर्तमान शिक्षा प्रणाली में रटंत विद्या पर बल दिया जाता है, व्यावहारिक ज्ञान पर नहीं । अंग्रेजी भाषा पढ़ने पर बहुत अधिक बल दिया जाता है जबकि मातृभाषा हिंदी है । इसके अतिरिक्त अलजबरा और ज्योमेट्री के तर्क उनकी समझ से परे थे । इंग्लॅण्ड का इतिहास तथा वहाँ के बादशाहों के नाम याद करने का वास्तविक जीवन में कोई लाभ नहीं है । इसी तरह विचारों की अभिव्यक्ति के नाम पर चार-चार पृष्ठों के निबंध लिखवाने के औचित्य पर प्रश्न चिह्न लगाया । इस प्रकार यह शिक्षा सैद्धांतिक है व्यावहारिक नहीं । इससे बालकों का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता तथा मूल्यांकन प्रणाली के दोषपूर्ण होने के कारण विद्यार्थी की योग्यता का भी सही आंकलन नहीं हो सकता ।
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