भैरोंदेव डाक व सेंक्चुरी कहाँ स्थित हैं ?
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उत्तर:
भैरवदेव डाकव सोनचुरी भारत के राजस्थान राज्य के अलवर जिले में स्थित है।अलावर जिले के 5 गाँव भैरवदेव डाकव सोनचुरी बनाते हैं। भैरोदेव डाकव सोनचुरी में 1200 हेक्टेयर क्षेत्र शामिल है। इस सोनचुरी में शिकार की अनुमति नहीं है।
भैरवदेव डाकव सोनचुरी का प्राथमिक उद्देश्य किसी भी बाहरी अतिक्रमण के खिलाफ वन्यजीवों की रक्षा करना है।
यह इन ग्रामीणों ने वास्तव में खड़े होकर अपने क्षेत्र में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए लड़ाई लड़ी थी। इस तरह की गतिविधि ने कुंवारी वन भूमि के क्षेत्र को संरक्षित करने में मदद की है। अपने स्वयं के नियम बनाने के बाद, वे इसका उचित और परिश्रम से पालन करते हैं। वे सभी बाहरी लोगों से भी आग्रह करते हैं कि वे अपने सभी नियमों का पूरी तरह से पालन करें।
भैरोंदेव डाकव सैंक्चुरी राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है। यह सेंचुरी 1200 हेक्टेअर के वनभूमि क्षेत्र में फैली हुई है।
राजस्थान के अलवर जिले के 5 गाँव के बीच फैली हुई भैरोंदेव डाकव सैंक्चुरी का नियंत्रण इस क्षेत्र के लोगों के हाथ में ही है। इन लोगों के सैंक्चुरी से संबंधित अपने नियम और कानून हैं। इस सैंक्चुरी में किसी भी पशु का शिकार करना वर्जित है। इन पाँचों गाँव के लोग यहाँ के वन्यजीवों को बाहरी लोगों की उस पर भाई लोगों से बचाते हैं। वन और वन्य जीव संरक्षण में लोगों की भागीदारी के संबंध में सेंचुरी आसपास के लोगों का का ये महत्वपूर्ण प्रयास है।
आदिकाल से ही जनजाति समुदाय के लोग प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण के लिए उल्लेखनीय कार्य करते रहे हैं। कुछ समुदायों में प्रकृति के तत्व और वन्यजीवों की पूजा और उनकी संरक्षण करने की परंपरा रही है। जैसे छोटानागपुर क्षेत्र में मुंडा और संथाल जनजातियां महुआ और कदम्ब के वृक्षों की पूजा करते हैंष हरियाणा में विश्नोई समाज के लोग काले हिरणों के का विशेष संरक्षण करते हैं और खेजड़ी के वृक्ष की पूजा करते हैंष उड़ीसा और बिहार की कुछ जनजातियां इमली और आम के पेड़ों की पूजा करते हैं।
भारत के सभ्य समाज में भी वृक्षों और उपयोगी जानवरों की पूजा और संरक्षण का रिवाज रहा है। इस तरह मानव ने अगर वन और वन्य जीवो का विनाश किया है तो उनके संरक्षण के लिए भी उल्लेखनीय कार्य किया है।
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