भारत छोड़ो आंदोलन के कारण व परिणाम
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भारत छोड़ो आंदोलन के कारण और परिणाम
आंदोलन में किसी प्रकार की हिंसात्मक कार्यवाही न की जाए ।
नमक कानून को भंग किया जाए तथा सरकार को किसी भी प्रकार का कर न दिया जाए । ...
सरकार विरोधी हड़तालें, प्रदर्शन तथा सार्वजनिक सभाएं करके अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश किया जाए ।
मूल्यों में असाधारण वृद्धि, आवश्यक वस्तु उपलब्ध न होने के विरोध में ।
प्रस्तावना
भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त, 1942 ई. को ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पास हुआ और 9 अगस्त की रात को गांधीजी सहित कांग्रेस के समस्त बड़े नेता बन्दी बना लिए गये । गाँधीजी के गिरफ्तार होने के बाद अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने एकसूत्रीय कार्यक्रम तैयार किया और जनता को भारत छोड़ो आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए आवाहन किया । जनता के लिए निम्न कार्यक्रम तय किए गये-
आंदोलन में किसी प्रकार की हिंसात्मक कार्यवाही न की जाए ।
नमक कानून को भंग किया जाए तथा सरकार को किसी भी प्रकार का कर न दिया जाए । अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के प्रति दुर्व्यवहार का विरोध ।
सरकार विरोधी हड़तालें, प्रदर्शन तथा सार्वजनिक सभाएं करके अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश किया जाए ।
मूल्यों में असाधारण वृद्धि, आवश्यक वस्तु उपलब्ध न होने के विरोध में ।
पूर्वी बंगाल में आतंक शासन के खिलाफ ।
भारत छोड़ो आंदोलन के कारण है -
क्रिप्स मिशन से निराशा- भारतीयों के मन में यह बात बैठ गई थी कि क्रिप्स मिशन अंग्रेजों की एक चाल थी जो भारतीयों को धोखे में रखने के लिए चली गई थी । क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण उसे वापस बुला लिया गया था ।
बर्मा में भारतीयों पर अत्याचार- बर्मा में भारतीयों के साथ किये गए दुर्व्यवहार से भारतीयों के मन में आंदोलन प्रारम्भ करने की तीव्र भावना जागृत हुई ।
ब्रिटिश सरकार की घोषणा- 27 जुलाई, 1942 ई. को ब्रिटिश सरकार ने एक घोषणा जारी कर यह कहा कि कांग्रेस की मांग स्वीकार की गई तो उससे भारत में रहने वाले मुस्लिम तथा अछूत जनता के ऊपर हिन्दुओं का आधिपत्य हो जाएगा । इस नीति के कारण भी भारत छोड़ो आंदोलन आवश्यक हो गया ।
द्वितीय विश्व युद्ध के लक्ष्य के घोषणा- ब्रिटिश सरकार भारतीयों को भी द्वितीय विश्व युद्ध की लड़ाई में सम्मिलित कर चुकी थी, परन्तु अपना स्पष्ट लक्ष्य घोषित नहीं कर रही थी । यदि स्वतंत्रता एवं समानता के लिए युद्ध हो रहा है तो भारत को भी स्वतंत्रता एवं आत्मनिर्णय का अधिकार क्यों नहीं दिया जाता ?
आर्थिक दुर्दशा- अगेंजी सरकार की नीतियों से भारत की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गई थी और दिनों-दिन स्थिति बदतर होती जा रही थी ।
जापानी आक्रमण का भय- द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानी सेना रंगनू तक पहुंच चुकी थी, लगता था कि वे भारत पर भी आक्रमण करेंगी । भारतीयों के मन में यह बात आई कि अंग्रेज जापानी सेना का सामना नहीं कर सकेंगे । भारत छोड़ो आंदोलन के कारण थे ।