भारत के राजनैतिक दल | Write an Essay on Political Parties in India in Hindi
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एकल या प्रमुख पार्टी सिस्टम, दो-पक्षीय सिस्टम या बहु-पार्टी सिस्टम यह तीन तरह के पार्टी होते हैं। जिसमें से एकल पार्टी प्रणाली सत्तावादी शासनों का संकेत देती है क्योंकि एक ही पार्टी के प्रभुत्व का मतलब है अन्य सभी राजनीतिक विपक्ष का दमन।
भारत में राजनीतिक पार्टी बहुत सारी है। सबका मंतव्य और वक्तव्य भी अलग है। हालांकि राजनीतिक दल आम हितों और दृष्टिकोण वाले लोगों के समूहों द्वारा गठित होते हैं, जो सरकार बनाने या सरकार पर उनके प्रभाव को मजबूत बनाने के उद्देश्य से एक साथ आते हैं। प्रत्येक पार्टी अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नीतियां बनाती है और फिर उम्मीदवारों को संसद के चुनाव के लिए प्रस्तुत करती है।
अकेले एक व्यक्ति वास्तव में कुछ भी नहीं बदल सकता है। कभी-कभी एक व्यक्ति द्वारा किए गए एक अद्वितीय विचार या प्रदर्शन पर ध्यान दिया जा सकता है लेकिन आमतौर पर यह ध्यान देने के लिए एक समूह की आवश्यकता होती है। जिसका निर्माण कर हम एक राजनीतिक दल बनाते हैं।
दल बनाकर हम जागरूकता फैलाते हैं ताकि लोग हमारी ओर आकर्षित हो सके। हम जनता को उनके हक के बारे में बताकर उनके शक्ति के बारे में बताकर विजय हासिल कर सकते हैं।
यह विजय ही देश बदलता है एक नई सुबह लाता है।
भारत के राजनैतिक दल | Essay on Political Parties in India in Hindi!
प्रजातंत्र से तात्पर्य जनता के लिए जनता द्वारा निर्मित जनता की सरकार है । अत: सैद्धान्तिक रूप से इस प्रकार की शासन प्रणाली जनता पर आधारित होती है ।
लेकिन प्रजातांत्रिक प्रणाली का उद्देश्य भी प्रशासन ही है । इसलिए इससे पहले लोगों को संगठन की आवश्यकता महसूस होती है । राजनैतिक दल संगठन की इस भूमिका को निभाते हैं । राजनैतिक दल प्रजातंत्र के मुख्य आधार हैं । ये दल जनमत का प्रतिपादन और प्रसार करते है ।
विभिन्न आवश्यक और अनावश्यक मामलों के संबंध में ये दल निर्णय लेते हैं, और आवश्यक मामलों में जनता और सरकार का ध्यान केन्द्रित करते है । इस प्रकार वे जनता में राजनैतिक जागरूकता उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण योगदान देते है । राष्ट्रीय हित के विषयों और उसकी समस्याओं को मिटाने का प्रयास करते हैं । चुनाव के दौरान विरोधी दल जनता के सम्मुख विकल्प को प्रस्तुत करते हैं ।
यदि सत्तारूढ़ सरकार जनता की आशा के अनुरूप कार्य न कर रही हो, तो अगले चुनाव में अन्य दलों को सरकार बनाने का मौका मिलता है । विरोधी दल सत्तारूढ़ दल के अनुचित कार्यो की आलोचना करते हैं । वे सदैव सत्तारूढ़ दल की त्रुटियों अथवा गलत कार्यो पर सूक्ष्म दृष्टि रखते हैं ।
इससे जनहित को बढ़ावा भी मिलता है । सत्तारूढ़ सरकार जनकल्याण आदि कार्यो को ठीक ढंग से निभाती है, ताकि वह विरोधी दल की आलोचना का शिकार न बन सके । अत: आधुनिक प्रजातांत्रिक व्यवस्था में अनेक दल विद्यमान होते हैं । भारत की दलीय व्यवस्था का उदभव उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम वर्षो में हुआ ।
उस समय तक भारत में अंग्रेजों का शासन सौ वर्षो से भी अधिक का हो गया था । यहाँ के शिक्षित लोगों ने अंग्रेजी भाषा के माध्यम से पाश्चात्य सिद्धांतों, विचारो को ग्रहण किया और विदेशी शासन के हाथों भारतवासियों की पीड़ा को अनुभव किया । लेकिन यह जागरूकता केवल शिक्षित लोगों तक ही सीमित थी ।
परिणामत: राजनैतिक पुनर्निमाण की शुरूआत बहुत सीमित रूप में हुई । विभिन्न संगठनों की बैठकों में ब्रिटिश सरकार के विरोध तथा स्वतंत्रता की मांग संबंधी बहुत मंद स्वर सुनने को आते थे । राष्ट्रीय कांग्रेस जिसका उद्देश्य देश में स्वतंत्रता के आंदोलन को बढ़ाना था, की शुरूआत भी धीमे स्वरों से हुई । इसकी स्थापना एक ब्रिटिश सिविल अधिकारी ए. ओ. हयूम ने की थी, जिसका मुख्य कारण केवल सावधानीपूर्वक समाधानों तक पहुँचना था । इसके विचार चरम आधुनिकता से संपन्न थे ।